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राजस्थान के इतिहास में जोधपुर के पास स्थित खेजड़ली ग्राम में वर्ष 1730 के दौरान अमृतादेवी विश्नोई व उनकी तीन बेटियों सहित 363 लोगो द्वारा वृक्षों को बचाने के लिए दिया गया बलिदान, पर्यावरण संरक्षण का एक अद्भुत - अनुपम व प्रेरक प्रसंग है। उनकी स्मृति में ही संस्थान का नाम ' अमृतादेवी पर्यावरण नागरिक संस्थान ' (अपना संस्थान ) रखा गया। जिसकी स्थापना 3 जनवरी 2016 को किशनगढ़, अजमेर (राजस्थान) में हुई।
अपना संस्थान Nature के Future के लिए निस्वार्थ भाव से निरंतर अपने कार्यों का निर्वाहन कर रही है, इसी को ध्यान में रखते हुये संस्थान के उद्देश्य हरित क्रांति के जरिये पंच महाभूत को बचाना और पर्यावरण संतुलन के लिए जन जागरण करना है, को लेकर आगे बढ़ रही है।
भावी कार्य योजना के अन्तर्गत 'अपना संस्थान' द्वारा वर्षा जल संरक्षण, स्वच्छता, प्लास्टिक का न्यूनतम उपयोग, जल - वायु - ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति जैसे पर्यावरण सम्बन्धी आवश्यक प्रकल्प यथासमय चलाये जा रहे है। प्रारम्भ में पौधरोपण को ही एक अभियान के रूप में चलाया गया है ताकि अनावृष्टि, अतिवृष्टि, भूकम्प, ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्राकृतिक प्रकोप में कमी आ सके।
Nature का Future के माध्यम से किये गए कार्यो, नई तकनीकों के द्वारा प्रकर्ति के साधनों के पुनः चक्रण को जन - जन तक पहुँचाना है जिस से वो भी इस ईश्वरीय कार्य के लिए प्रेरित हो कर पंच महाभूत को बचाने में सहयोग कर सके, क्योकि हम जो दूसरों के द्वारा लगाये गये वृक्षों का उपयोग करते हे ; यह भी एक प्रकार का ऋण है। हमें इससे मुक्ति पानी चाहिये। अतः इस ऋण से मुक्त होने के लिए, अपना दायित्व समझ कर हम भी कुछ पौधरोपण करें, उसकी देखभाल करें और उनको बड़ा करें। तो आइये अंधेरे को कोसने की बजाय एक दीप जलायें।
अपना संस्थान Nature के Future के लिए निस्वार्थ भाव से निरंतर अपने कार्यों का निर्वाहन कर रही है, इसी को ध्यान में रखते हुये संस्थान के उद्देश्य हरित क्रांति के जरिये पंच महाभूत को बचाना और पर्यावरण संतुलन के लिए जन जागरण करना है, को लेकर आगे बढ़ रही है।
भावी कार्य योजना के अन्तर्गत 'अपना संस्थान' द्वारा वर्षा जल संरक्षण, स्वच्छता, प्लास्टिक का न्यूनतम उपयोग, जल - वायु - ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति जैसे पर्यावरण सम्बन्धी आवश्यक प्रकल्प यथासमय चलाये जा रहे है। प्रारम्भ में पौधरोपण को ही एक अभियान के रूप में चलाया गया है ताकि अनावृष्टि, अतिवृष्टि, भूकम्प, ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्राकृतिक प्रकोप में कमी आ सके।
Nature का Future के माध्यम से किये गए कार्यो, नई तकनीकों के द्वारा प्रकर्ति के साधनों के पुनः चक्रण को जन - जन तक पहुँचाना है जिस से वो भी इस ईश्वरीय कार्य के लिए प्रेरित हो कर पंच महाभूत को बचाने में सहयोग कर सके, क्योकि हम जो दूसरों के द्वारा लगाये गये वृक्षों का उपयोग करते हे ; यह भी एक प्रकार का ऋण है। हमें इससे मुक्ति पानी चाहिये। अतः इस ऋण से मुक्त होने के लिए, अपना दायित्व समझ कर हम भी कुछ पौधरोपण करें, उसकी देखभाल करें और उनको बड़ा करें। तो आइये अंधेरे को कोसने की बजाय एक दीप जलायें।
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July 18, 2019
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