Vichar Niyam (Marathi edition): The power of happy thoughts

· WOW Publishings Private Limited · Narrated by Harshitt Abhiraj
4.6
54 reviews
Audiobook
6 hr 44 min
Unabridged
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About this audiobook

तिसरा चमत्कार समजण्यापूर्वी संपूर्ण ज्ञानाचे चार आयाम समजूया. पहिला आयाम - आसनायाम, दुसरा आयाम - प्राणायाम, तिसरा आयाम-विचारायाम, चौथा आयाम - मौनायाम. विचारांचा तिसरा आणि चौथा आयाम, जो विचारसूत्र आणि मौनमंत्राच्या रूपात या पुस्तकात प्रस्तुत केला आहे, त्याचा उपयोग करून आपण निर्मळ मन, प्रशिक्षित शरीर, उपजिविका लक्ष्य, आदर्श वजन, दीर्घायुष्य, चांगले मित्र, कलाकौशल्य, निरोगी जीवन, योग्य जीवनसाथी आणि पृथ्वीलक्ष्य प्राप्त करू शकता.


आपला एक सशक्त विचारदेखील विश्‍वाला नवीन दिशा देऊ शकतो. काय म्हणता, ‘हे कठीण आहे.’ तर मग निश्‍चितच हे पुस्तक वाचणं आपल्यासाठी अनिवार्य आहे. पुस्तक वाचल्यानंतर उद्दिष्टपूर्ती सहज, सुलभ होऊन विचारांचा तिसरा आयाम म्हणजे विचारनियमापर्यंत आपण पोहोचला असाल.


आपण आधीपासूनच आशावादी दृष्टिकोन ठेवत असाल तर हे पुस्तक आपल्यासाठी परमसंतुष्टीचं कारण बनेल. प्रत्येक समस्येचं निरसन आपल्या अंतर्यामीच आहे यावर विश्‍वास ठेवा. या विश्‍वासासह हे पुस्तक वाचायला आरंभ करा. सकारात्मक परिणामांवर आणि आपल्या यशस्वीतेवर विश्‍वास ठेवा. आपल्यात जर श्रद्धा, आशा आणि या पुस्तकाचं ज्ञान असेल तर तिसरा चमत्कार तुमच्यासाठी सहज शक्य आहे.


चला तर मग ‘विचारायाम’चा जो पूल आहे... तो लीलया पार करून मौनाचा साक्षात्कार करूया... कुठे? महानंदाच्या साम्राज्यात...!

Ratings and reviews

4.6
54 reviews
Govind Ingole
November 25, 2020
khupach chhan pustak aahe. je ki positive vicharanch valay tumhachya pude tayar hoil.
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Vikas Doifode
August 13, 2020
very nice 👌
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vish
January 4, 2021
nice voice book. 👌👌👌👌👌
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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