अधिकतर काव्यविषय, भगवान भक्ती है। तुलसीदास, कबीरजी आदि संतों महंतो के काव्यविषय से सगुण निर्गुण भक्ती मन में उभर आई है। राधाकृष्ण प्रेमसे तत्त्वज्ञान लिया गया। मोहन मोहन सांस करत प्यार की एकरूपता इन पंक्तियों में है। आप की इतनी उपमाएँ, कल्पनाशक्ती, मनके सच्चे भावों का प्रदर्शन, देखते ही रह जाते है।