ये कहानी मशहूर ईरानी बादशाह अफ्रैशियाब की है। जिसके बारे में कई तरह की बातें ईरानी, तुर्की और अन्य कई साहित्यों के अलावा अरबी, मांगोलिया, फारसी, साहित्य समूचे सेन्ट्रल और वेस्टर्न एशिया के घरों में, आज भी उनके कारनामों को याद किया जाता है। वे अपनी मृत्यु के सैकड़ों वर्षों बाद भी कितने लोकप्रिय थे। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि मोहम्मद गजनवी और बलबन जैसे शासकों से अपना सिंहासन बचाये रखना मुश्किल होने लगा, तो इन लोगों ने खुद को अफ्रैशियाब का वंशज बताया। जिसने न सिर्फ़ इनका सिंहासन बचाया बल्कि इतिहास में एक नया अध्याय रच दिया। मगर ये हमारा दुर्भाग्य ही है, कि उन्होंने अपने शासन काल में ये कभी नहीं बताया, कि वे आर्य देश के निवासी है। जिसके कारण भारतीय आज भी उस महान बादशाह के बारे में नहीं जानते हंै।इस कहानी के माध्यम से हम अफ्रैशियाब के बचपन से लेकर सिंहासन पाने तक की हैरत-अंगेज कहानी बताने का प्रयास कर रहा हूँ।