Prachin Bharat Me Ayurvedic Vanaushadhi: Upyog, Manak Aur Manav Dharm

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4.1
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213
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 वन क्षेत्रों में पायी जाने वाली समस्त प्रजातियों में कुछ न कुछ औषधीय या अन्य गुण होते हैं परन्तु सभी प्रजातियाँ - व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं होती हैं। वनोपज संक्रमण हेतु विनाश विहीन विदोहन अपनाने से वन संसाधन की अपेक्षाकृत कम क्षति होगी साथ ही वनोपज की उपलब्धता तथा उत्पादन में आगामी वर्षों में कमी नहीं आयेगी।इस पुस्तक में आयुर्वेदिक औषधि की उचित उपयोगी मार्गदर्शन मानकी करण वैज्ञानिक आधारित है। तथा गुण धर्म, रासायनिक तत्वों की जानकारी तथा औषधियों की बाजार मांग आदि प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक छात्र उपयोगी तथा लाभदायक सिद्व होगी। इस पुस्तक में लेखक का 40 वर्ष के अनुभव का समायोजन है।

Ratings and reviews

4.1
7 reviews
Pandu Brothers
April 28, 2021
Y b ho buy
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Anil Das
December 25, 2023
AAA
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About the author

K.L. Nishad

के. एल. निषाद, आपने वन सम्पदा के विषय में छत्तीसगढ़ राज्य में शासन वन विभाग में फाॅरेस्ट रेंजर के पद पर कार्यरत रहकर वनों की औषधियों की रख रखाव औषधिया गुण धर्म आदि के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की तथा आपने अपने 40 वर्षों के अनुभव को इस पुस्तक में समेटकर रख दिया। मानव समाज वनों के प्रति मानव धर्म सहेज कर वनों को क्षति होने से बचायें।

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