RUP KI GALIYAN

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About this ebook

रचनाओं का शीर्षक 'रूप की गलियाँ' है, जिसकी कहानी भी बड़ी रोचक है। यह आपको बिलासपुर से लेकर बनारस तक टेढ़ी-मेढ़ी गलियों से गुज़ारती हुई, आपके दिल तक पहुँचने का प्रयास करती है। इसमें आपको अरपा बिलासपुर के घाट की गोलगप्पे के स्वाद से लेकर गंगा, बनारस चाउमीन तक चटपटा स्वाद मिलेगा! शीर्षक का चयन करते समय बड़ी दुविधा रही कि आख़िर ऐसी क्या चीज़ें हैं, जो सभी को एक दूसरे से जोड़ती हैं! और निष्कर्ष यही निकलकर आया कि जो ज्ञान बनारस की गलियों में मिला, वो आपको यहाँ ज़रूर देखने को मिलेगा।


About the author

रूपेन्द्र साहू ‘रूप’ का जन्म 5 जून, 1990 को पंडरिया के ग्राम कुई-कुकदुर, जिला कबीरधाम (छत्तीसगढ़) में हुआ। इनकी प्राथमिक स्कूली शिक्षा और बचपन लोरमी, जिला मुंगेली में बीता। वहीं से इनका चयन नवोदय विद्यालय में हुआ, जहाँ इन्होंने बारहवीं तक की पढ़ाई 2008 तक की। उसके पश्चात इनका चयन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय बनारस में हुआ, जहाँ इन्होंने बी.ए. आनर्स (अर्थशास्त्र ) की पढ़ाई की, साथ ही साथ इन्होंने जापानी भाषा में डिप्लोमा का एक वर्ष पूरा किया, परन्तु घरेलू परिस्थितियों के कारण इन्हें बनारस छोड़ना पड़ा और आगे की पढ़ाई बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के गुरुघासीदास विश्वविद्यालय से एम.ए. अर्थशास्त्र कर पूर्ण की।


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