Bhagwan Buddha: Suman Aur Buddhi Ka Ucchatam Vikas bodh prapti ke liye

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.1
25 reviews
Ebook
160
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मन और बुद्धि के पार – परम बोध यात्रा

सिद्धार्थ को परंतु जीवन में कुछ ऐसे संकेत मिले, जिन्होंने उन्हें खोजी बना दिया| उन्होंने राजसी जीवन को त्याग दिया और दुःख मुक्ति की खोज में जुट गए| इस मार्ग पर उन्होंने अपने शरीर को बहुत कष्ट दिए| दोनों अतियोंवाला जीवन जीने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि मध्यम मार्ग ही सर्वोत्तम मार्ग है|

सिद्धार्थ गौतम ने मन और बुद्धि का सम्यक उपयोग किया और उनके पार गए इसलिए उन्हें परम बोध प्राप्त हुआ और वे भगवान बुद्ध बने| यह पुस्तक आपको भगवान बुद्ध के जीवन का रहस्य बताएगी| इस यात्रा में आप जानेंगे –
सिद्धार्थ कब और क्यों गौतम (खोजी) बने
गौतम की बोध प्राप्ति की यात्रा कैसे सफल बनी
बोध प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध की यात्राएँ कैसी थीं
भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को कौन सी शिक्षाएँ प्रदान कीं
भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को जीवित रखने के लिए सम‘ाट अशोक ने कैसे महत्वपूर्ण योगदान दिया

भगवान बुद्ध ने अपने सम्यक ज्ञान से लोगों की मन:स्थिति देखकर उपाय बताए| जिन लोगों ने उन्हें ध्यान से सुना, समझा, उन्होंने बुद्ध बोध का पूर्ण लाभ उठाया लेकिन जिन लोगों ने बुद्ध के केवल शब्द सुने, वे अपनी मूर्खताओं में लगे रहे| यदि आपने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का असली अर्थ समझ लिया तो यह पुस्तक बोध प्राप्ति के लिए यानी असली सत्य तक पहुँचने के लिए सरल मार्ग बन सकती है|

इस पुस्तक में भगवान बुद्ध के जीवन को तीन मु‘य किरदारों में पिरोया गया है| पहले किरदार हैं राजकुमार सिद्धार्थ, दूसरे किरदार हैं गौतम और तीसरे किरदार हैं भगवान बुद्ध| भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध भी कहा जाता है लेकिन कभी सिद्धार्थ गौतम नहीं कहा जाता| इन नामों के पीछे भी रहस्य है| इन तीनों किरदारों की कहानियों को इस पुस्तक के ज़रिए एक नए और अलग नज़रिए से पढ़ें|

Ratings and reviews

4.1
25 reviews
SATYAM KUSHWAHA
September 25, 2020
Excellent but expensive.
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Gulshan Yadav
April 27, 2019
kisi bhi pustak yathawat satya nahi hotaa 100%ye me nahi. ..tathagat guru kahte h. ....
23 people found this review helpful
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Pravin Kamble.
October 14, 2022
good
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।


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