Ramakrishna Paramahamsa: Bhakti Ke Bhakt

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.6
18 reviews
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भक्ति के भक्त का सुन्दर जीवन

दक्षिणेश्वर में स्थित कालीमाता मंदिर के पुजारी श्री रामकृष्ण परमहंस, सदा ह्रदय के तल पर रहते थे. उनका जीवन भक्ति से सराबोर है. यह पुस्तक ऐसे भक्ति के भक्त की जीवनी व शिक्षाओं को प्रस्तुत करती है. यह पुस्तक ऐसे भक्ति के भक्त की जीवनी व शिक्षाओं को प्रस्तुत करती है. इसमें रामकृष्ण परमहंस के बचपन से लेकर दक्षिणेश्वर तक के किस्सों को बहुत ही रोचक तरीके से दर्शाया गया है.

सुंदर और सरल शैली में लिखी गई यह पुस्तक रामकृष्ण और उनके शिष्यों के बीच हुई अनोखी बातचीत के पीछे छिपे गूढ़ ज्ञान को सहजता से सामने लाती है.

रामकृष्ण परमहंस किस प्रकार अपने शिष्यों की परीक्षा लेते, इन खटटे-मीठे किस्सों को इस पुस्तक में बड़ी सुंदरता से दर्शाया गया है.

उनकी सीधी-सच्ची बातें और निर्लिप्त ज्ञान, लोगों में आज भी भक्ति जागृत करता है.

आइए उनकी जीवनी पढ़कर भक्ति, विश्वास और सराहना करना सीखें.​

Ratings and reviews

4.6
18 reviews
vishal pawar
October 30, 2022
Great Book
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sukumar pathapati
October 12, 2019
Describes true reality of life
3 people found this review helpful
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Sheela Rai
February 27, 2018
Sawami ram Krishna paramhans
6 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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