राजेश बेरी की यह रचनाएँ मध्यम वर्ग की रूह का दर्शन हैं। हर भारतीय, पाकिस्तानी, नेपाली, बांग्लादेशी जिस हाल में रहता है, रह चुका है या रहेगा, इसी में बविवश वलवले लेता है इसी में पुरातन की आत्मा का संदेश नवीनता में घुलता है। राजेश बेरी के पात्र, डायलाग इस संघर्ष को बेहद कुशलता से उजागर करते हैं। यही जादू तो किताब को हाथ से अलग होने ही नहीं देता। इनकी कहानियों से समाज को एक नई ऊर्जा मिलती है। नैतिक शिक्षा से भरपूर ऐसी ही कहानियों की आज हमारे समाज को ज़रूरत है। राजेश बेरी जी की कहानियों में एक अलग तरह की सादगी और अपनेपन का एहसास होता है। जिन मोरल वैल्यूज और एथिक्स को आज की पीढ़ी भूलती जा रही है उसकी याद बीच बीच में राजेश जी कहानियाँ दिलाती रहती हैं। रिश्तों की मिठास को, ज़िंदगी जीने के एहसास को, राजेश जी ने अपनी कहानियों में बहुत ख़ूबसूरती से बयान किया है। सबसे उम्दा बात उनकी कहानियों की ये है कि हर कहानी आपको एक नयी उम्मीद की रौशनी के साथ जोड़ती है।