वीर सावरकर ने लिखा बहोत कुछ है लेकिन हमने यह 3 पुस्तके पसंद की है |
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विनायक दामोदर सावरकर के बारे में :
विनायक दामोदर सावरकर [Veer Savarkar] (जन्म: 28 मई 1883 - मृत्यु: 26 फरवरी 1966) भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसुधारक, इतिहासकार, राष्ट्रवादी नेता तथा विचारक थे. उन्हें प्रायः स्वातन्त्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है. हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा ( "हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय वीर सावरकर को जाता है. वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक औखक औील राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक औील उन्होंने परिवर्तित हिन्दुओं को हिन्दू धर्म में वापस लौटने हेतु सतत प्रयास किये एवं इसके लिए आन्दोलन चलाये. उन्होंने भारत की एक सामूहिक "हिन्दू" पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा. [5] [6] उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद, प्रत्यक्षवाद (Позитивизъм), मानवतावाद, सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे. वीर सावरकर एक तर्कबुद्धिवादी व्यक्ति थे जो सभी धर्मों के रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे.
वीर सावरकर ने लिखा बहोत कुछ है लेकिन हमने यह 3 पुस्तके पसंद की है |
1.१८५७ का स्वतंत्रता समर
1857 का स्वातंत्र्य समर (मूल मराठी नाम: 1857 चे स्वातंत्र्यसमर) एक प्रसिद्ध इतिहास ग्रन्थ है जिसके लेखक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर थे. इस ग्रन्थ में उन्होंने तथाकथित "सिपाही विद्रोह" का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था. यह ग्रन्थ को प्रकाशन से पूर्व ही प्रतिबन्धित होने का गौरव प्राप्त है. अधिकांश इतिहासकारों ने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक "सिपाही विद्रोह" या अधिकतम भारतीय विद्रोह कहा था. दूसरी ओर भारतीय विश्लेषकों ने भी इसे तब तक एक योजनाबद्ध राजनीतिक एवं सैन्य आक्रमण कहा था, जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के ऊपर किया या था.
2. हिन्दुत्व
हिन्दुत्व : हिन्दू कौन है? (Хиндутва: Кой е индуски) विनायक दामोदर सावरकर द्वारा 1 9 23 में लिखा गया एक आदर्शवादी पर्चा है. यह पाठ शब्द हिन्दुत्व (संस्कृत का त्व प्रत्यय से बना, हिन्दू होने के गुण) के कुछ आरम्भिक उपयोगों में शामिल है. यह हिन्दू राष्ट्रवाद के कुछ समकालीन मूलभूत पाठों में शामिल है.
सावरकर ने यह पर्चा रत्नगिरि जेल जेल नेलहपर्चा रत्नगिरि जेल जेल जेल मेल मेल मेईाथौं पर्चा इसे जेल से बाहर तस्करी करके ले जाया गया तथा सावरकर के समर्थकों द्वारा उनके छद्म नाम "महरत्ता" से प्रकाशित किया गया.
3.मोपला: मुझे इससे क्या ?
मोपला विद्रोह: केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा 1 9 21 में स्थानीय जमीदारो द्वारा ब्रिटेनियों और हिन्दुओं के विरुद्ध किया गया था. यह विद्रोह मोपला विद्रोह कहलाता है। यह विद्रोह मालाबार के एरनद और वल्लुवानद तालुका में खिलाफत आन्दोलन के विरुद्ध अंग्रेजों द्वारा की गयी दमनात्मक कार्यवाही के विरुद्ध आरम्भ हुआ था. इसमें अंग्रेज़ो द्वारा हिन्दुओ ओर मुस्लिमों के बीच दंगा करने का काफी प्रयास हुआ. जिसमें वो सफल भी हुए, विनायक दामोदर सावरकर ने "मोपला" नामक उपन्यास की रचना की है.
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Актуализирано на
31.08.2023 г.