इज़रायली-फिलिस्तीनी संघर्ष जो अभी तक जारी है, इज़राइल और फिलिस्तिनियों के बीच का एक संघर्ष है। यह संघर्ष जान बुझ कर पैदा किया गया संघर्ष है! यह अरब-इज़राइल संघर्ष की एक लम्बी कड़ी है। वास्तव में संपुर्ण फिलिस्तीन राज्य पर अरब मुस्लिमो का राज्य था, जहा सिर्फ 2% यहुदी रहते थे पर जब दुसरे महायुद्ध के समय जर्मनी मे हिटलर ने यहुदी समुदाय के सामुहिक नरसंहार के बाद यहुदी याहां शरणार्थी बनकर आऐ ! फिर धिरे धिरे संपुर्ण विश्व से यहुदी याहां आकर बसने लगे. अंततः पश्चिमी देशों की मध्यस्ता से यहां पहली बार यह दो राज्य का सिधांत रखा गया. पर यहुदियों के विस्तारवादी निती के चलते वह अरब मुस्लिमो को धिरे धिरे पिछे ढकेलते हुऐ एक छोटे भुभाग पर लेकर आये इसी लिए दोनों समूहों मे एक ही क्षेत्र पर किये गए दावे का संघर्षं है। द्वि-राज्य सिद्धान्त के लिए यहाँ कई प्रयास किये गए, जिसमें इजराइल से अलग एक स्वतन्त्र फिलिस्तीन राज्य बनाने के लिए कहा गया था। वर्तमान में, इसरायली और फिलिस्तीनियों की बहुमत चाहती है की, (कई मुख्य मत (पोल) के अनुसार) द्वि-राज्य सिद्धान्त पर इस संघर्ष को ख़त्म कर दिया जाय। परंतु इजराइल और यहुदी नही चाहते के दो राष्ट्र बने वह तो धिरे धीरे पुरे देश पर अतिक्रमण करके संपुर्ण फिलिस्तीन चाहते है। कई फिलिस्तीनी हैं जो पश्चिम किनारे और गाज़ा पट्टी को भविष्य का अपना राज्य के रूप में देखते हैं, जिस नजरिये को कई इजरालीयों ने स्वीकारा भी परंतु गाज़ा में मुलभुत सुविधाए (बिजली, पानी) भी नागरीको को इजराइल से दुगने तिगने दामो पर खरीदने पडते है। कुछ शिक्षाविद एक-राज्य सिद्धान्त की वकालत करते हैं और पूूूरे इजराइल, गाज़ा पट्टी और पश्चिम किनारे को एक साथ रखकर, दो राष्ट्रीयता को एक साथ रखकर एक राज्य बने जिसमें सब के लिए समान अधिकार हो पर यह कठिन है क्योंकी इजराइल दुसरे राज्य पर अतिक्रमण करके जमीन हडप ने के लिए बच्चों महिलाओ को कत्लेआम कर सकता है तो एक राज्य रहने के बाद अरब मुस्लिमो का नरसंहार भी कर सकता है। यद्यपि, कुछ ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जिनके कारण किसी भी अन्तिम निर्णय पर पहुँचने में दोनों पक्ष में असन्तोष दिखाई देता है। दोनों पक्षों में एक-दूसरे के ऊपर विश्वास का स्तर भी कमजोर है। हर एक पक्ष अपनी कुछ बुनियादी प्रतिबद्धताएँ कायम रखे हुए दिखाई देता है।
पिछली बार अपडेट होने की तारीख
13 अप्रैल 2024