प्रत्येक मनुष्य के जीवन की है है - स्वस्थ जीवन, सुखी सुख का आधार स्वास्थ्य है जीवन ही सम्मान के योग्य योग्य
उत्तम स्वास्थ्य का आधार है यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर
‘चरक संहिता में में गया हैः
आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।
परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने ।।
इस इस संसार में सुखी जीवन इच्छा रखने रखने वाले व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।।
उचित आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य - ये तीनों वात, पित्त हैं, हैं हैं हैं, हैं हैं, हैं अतः आरोग्य के लिए इन का पालन अनिवार्य है
यह एक सुखद, निष्ठा अन्य चिकित्सा पद्धतियाँ केवल धर्म, आत्मा, मन, शरीर, कर्म इत्यादि सभी
आयुर्वेद में निर्दिष्ट हैं हैं
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