वृहत्तर कुरुक्षेत्र या 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि दो नदियों, अर्थात् सरस्वती और दृषद्वती के बीच स्थित है, जो हरियाणा के पाँच राजस्व जिलों - कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जींद और पानीपत - में फैली हुई है।
महाभारत के ग्रंथ में, कुरुक्षेत्र की पहचान समंतपंचक के रूप में की गई है, जो बीस योजन में फैली हुई भूमि है और उत्तर में सरस्वती नदी और दक्षिण में दृषद्वती नदी के बीच स्थित है। यह भूमि चार कोनों पर चार द्वारपालों या यक्षों से घिरी हुई है, अर्थात् उत्तर-पूर्व में बिद पिपली (कुरुक्षेत्र) में रत्नुक यक्ष, उत्तर-पश्चिम में बेहर जाख (कैथल) में अरंतुक यक्ष, दक्षिण-पश्चिम में पोखरी खेड़ी (जींद) में कपिल यक्ष और दक्षिण-पूर्व में सींख (पानीपत) में मचक्रूक यक्ष। लोकप्रिय रूप से वृहत्तर कुरुक्षेत्र के पवित्र परिपथ को 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि कहा जाता है।
पिछली बार अपडेट होने की तारीख
16 नव॰ 2025