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ज्ञान के साधनों कोश का का। भी भाषा द्वारा करने करने के आवश्यकता ज्ञान के अनन्तर लिए व्याकरण व्याकरण। जैसी संश्लिष्ट भाषा ग्रन्थ ग्रन्थ तैयार एक प्रकृति तथा से से शब्दों में उपसर्गों के परिवर्तन परिवर्तन पूर्वक या हिन्दी भाषा के इतर संस्कृत में धातुओं (क्रियाओं) का नियमन तथा कोश निर्माण चुनौती पूर्ण है
संस्कृत के अमरकोश, मेदिनीकोश, तक वाक्य निर्माण के लिए आवश्यक दोनों प्रकार की शब्दावली से युक्त ई- कोश का अभाव था। भाषियों हिन्दी शब्दों का वाला हिन्दी हिन्दी संस्कृत शब्दकोश।
के विना कोश अधूरा है। में शब्दों के लिंग हैं। भेद, साहचर्य, लिंग भी सामान्यतः नियम बाधित होने शब्दों शब्दों के दिया भाषित पुंस्क (कुछ नपुंसक लिंग के शब्द पुल्लिंग में में होते हैं) के लिए (पुं.नं.) इस प्रकार संकेत किया गया है।
संस्कृत में क्रियाओं को 10 गणों में विभाजित किया गया है। समरूप स्वरूप धातु इस प्रकार यहाँ 600 धातुओं (क्रिया शब्दों) को स्थान दिया गया है। उपसर्गों के साथ से से निष्पन्न में शब्दों का क्रम के अनुसार अनुसार है आवश्यकता हुई, अनेक
कोश प्रकल्प निर्माण, ने के द्वारा इसे जनोपयोगी बनाने हर हर मोबाइल तक इसे पहुँचाने में. झा तथा उनके झा का का अतुलनीय योगदान। प्रति कृतज्ञता अर्पित। को और अधिक उपयोगी आपसे आपसे सुझाव।
विदुषामनुचरः
बुद्धपूर्णिमा संवत् 2077 जगदानन्द झा
संस्कृतगृहम्, डी .202 / 4, कूर्मांचल नगर, लखनऊ
jagd.jha@gmail.com
Վերջին թարմացումը՝
03 սեպ, 2023 թ.