पुस्तक के कारण हो पाता है पुस्तकी भवति पण्डितः। तकनीक के माध्यम से मैं मैं "ई-पुस्तक संग्रह" आपके
व्यक्ति समय डिजिटल दौर में परिवर्तन दूरभाष यंत्र इस "पुस्तक संदर्शिका" पर पुस्तक पढ़ने की सुविधा दिए जाने की मांग होती रही है। ऐप उस मांग है।
अंतरजाल पर संस्कृत पुस्तकें उपलब्ध हैं पाठकों पर व्यक्तियों इनमें से कुछ ही है। हमने उनमें किसी पुस्तक पुस्तकालय यह ऐप हजारों एक है। ऐप
पर की
की मांग पर पुस्तक की प्राप्ति
. मोहन झा तथा सुपुत्र श्री सृजन झा निर्बल के बल बल है मेरी यह अति महत्वाकांक्षी परियोजना ही तकनीकी (तकनीकी दक्षता) के कारण आप तक पहुंच सकी। हाथों इसकी एवं बहूपयोगी
ऐप प्रत्येक,. झा, श्रीमान् सृजन
शम्
विदुषामनुचरः
झा
संस्कृत गृहम्, कूर्माचल नगर,