महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवद्गीता के से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। 18 小时 700 小时
गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपन िषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उप निषद् और धर्मसूत्रों का है। उपनिषदों को गौ (गाय) और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है। इसका तात्पर्य यह है कि उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है। उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। जैसे,संस, मेंमेंुष。。 इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इ न दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है। उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा गया है । ततधकेजुनजुनजुनधनेनेनेतेतेतेतेहैंहैं श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रं थ में संकलित किया गया है।
श्रीमद्भगवद्गीताबदलतेसामाजिकपरिदृश्योंमेंअपनी महत्ता को बनाए हुए हैं और इसी कारण तकनीकी विकास ने इस की उपलब्धता को बढ़ाया है, तथा अधिक बोधगम्य बनाने का प्रयास किया है। दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक महाभारत में भगवद्गीता विश ेषआकर्षणरही, वहीं धारावाहिक श्रीकृष्ण (धारावाहिक) में भगवद्गीता अत् यधिकविशदशोधकरकेउसेकईकड़ियोंकीएकशृंखलाके दिखाया गया। इसकी एक विशेष बात यह रही कि गीता से संबंधित सामान्य मनुष्य के संदेहों को अर्जुन के प्रश्नों के माध्यम से उत्तरित करने का प्रयास किया गया।