CG Kalar Mahasabha

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O aplikaciji

छत्तीसगढ़ कलार महासभा
इतिहास किसी भी देश और जाति के उत्‍थान की कुंजी है । किसी भी देश तथा समाज के उत्‍थान व पतन तथा वहाँ के ज्ञान-विज्ञान, कला-साहित्‍य, एवं संस्‍कृति का ज्ञान हमें इतिहास के द्वारा ही मिल सकता है । हमें अपने पूर्वजों के श्रेष्‍ठ कार्यों की जानकारी इतिहास के माध्‍यम से ही मिल सकती है। जिस जाति के पास अपने पूर्वजों का इतिहास नहीं उसे प्राय: मृत समझा जाता है । अर्थात् जिस व्‍यक्ति को अपने इतिहास की जानकारी नहीं वो इतिहास का निर्माण नहीं कर सकता । वास्‍तव में इतिहास ही ज्ञान की कुंजी व ज्ञान का विशाल भंडार होता है । इतिहास वह पवित्र धरोहर है जो जाति को अंधकार से निकाल कर प्रकाश की और ले जाती है । हर व्‍यक्ति दूसरों से तुलना करके अपने आप को श्रेष्‍ठ प्रमाणित करने में गौरव महसूस करता है और उसके लिए इतिहास से बढ़कर कोई आधार नहीं हो सकता । किसी जाति को जीवित रखने तथा विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए इतिहास से अधिक कोई प्रेरणा का स्‍त्रोत नहीं हो सकता । इसलिए साहित्‍य जगत् में इतिहास को भारी महत्‍व दिया गया है । इतिहास पूर्वजों की अमूल्‍य निधि है और वही भटके हुए मनुष्‍यों को मार्ग दिखाता है । किसी भी देश या जाति का उत्‍थान और पतन देखना हो तो उस देश या जाति का इतिहास उठाकर देख लें । यदि किसी देश या जाति को मिटाना है तो उसका इतिहास मिटा दें वह देश या जाति स्‍वत: मिट जायेगी । इतिहास के अभाव में वह जाति या देश अपना मूल स्‍वरूप ही खो बैठेगी, वह भटक जायेगी । इतिहास इस बात का साक्षी है कि विजेता देश या जातियों ने किसी को दबाना या कुचलना चाहा तो पहले उसके इतिहास को नष्‍ट किया जिससे वे वास्‍तविकता को भूल कर गुलामी की बेड़ियों में कैद हो गये । अंग्रेज जब भारत में आए तो सबसे पहले यहां के इतिहास संस्‍कृति को नष्‍ट किया । इतिहास के अभाव में आज बहुत सी जातियों का पता लगाना कठिन हो गया है । भारत में परशुराम के भय से क्षत्रिय लोग कई जातियों में मिल गए । उसके बाद मुगल शासकों के अत्‍याचार से कई नई जातियाँ बन गई । महाभारत काल में भी कई जातियाँ डगमगा गई और छिन्‍न-भिन्‍न हो गई । पहले जहाँ चार वर्ण थे वहाँ भारत में आज लगभग पौन चार हजार जातियाँ हो गई ।
Ažurirano dana
4. mar 2024.

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