बदनाजरी के 14 नुक्सनत शेख उल अरब वाल अजम हजरत मौलाना शाह हकीम मुहम्मद अख्तर साहेब (रए) द्वारा
ℳआश्रे को तबाह करना मे अहम किरदार "बुरा नजरी" का भी हे, यानी मर्दो का गैर महरम औरतो को देखना वा औरतो का गैर महरम मर्दो को देखना। ये बहुत खतनाक फिटना हे, ये "जिना" की पहली सिरही (चरण) हे, से बडे बडे फिटनो का दरवाजा खुलता हे।
अल्लाह ने हो या बदकरी का दरवाजा बन्द करना के लिए मुसलमानों को "नाजरो की हिफाजत" का हुक्म दिया।
“आप मुसलमानों मर्दो से कह दो के वो अपनी निगाहीं निची राखेँ वा अपनी शर्मगाह की हिफाजत करीन, ये उन के लिए ज़्यादा पाकिजा बात हे, बे शाक अल्लाह खुवोकिंवाँ कौइंक्वाहीं।
वा आप कह दे मुसलमान औरटन से वो भी अपनी निगाहीँ निची राखेँ वा अपनी शर्मगाह की हिफाजत करेँ” (पक्की नूर: ३०,३१)
खराब नजरी की हुरमत की तकिद इस बात से भी मालूम होती हे के कुरान मे जब अल्लाह ने नमाज, रोजा, जकात वागेरा का हुकम देना चाहा तो मर्दो से खतब फरमाया या औरतो को मर्दो के हुक्म मे देखिल फरमाया, अलग से हुकम नही। diya
जब खराब नाजरी से रोकना चाहा तो मर्दो या औरतो को अलग अलग आयतो मे हुक्म दिया।
चुन्छे पक्का नूर की आयत ३० मे मर्दो को हुक्म दिया वा आयत ३१ मे ओरतो को हुक्म दिया।
खराब नजर से बचना कति जरुरी हे ?? इस का अन्दाजा हमे वकी से होगा।
हज उम्मे सलमा रदिअल्लाहु अनहा फर्मती हीन एक रोज मे या हजरत मायमुना रदिअल्लाहु अनहा दोनो रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास बेठी हुई थी के आचानक हजरत अब्दुल्लाह इब्ने उम्मे मकतुम रदिअल्लाहु अनहु आ गाई सल्लेह वाल्मे वाल्मे हुलालहू रअल्लाह छालाउल्लाह वाल्स्लाम र जाओ, मेने आरज किया: "या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वो तो नबिना (आन्धे) हेन, वो हमे नहीं देख सकते" रसुलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया:
“तुम तो नबिना नही हो ? तुम तो उन को देख रही हो !! (अबु दाउद र तिर्मिजी)
बद नजरी अल्लाह की ला'नत का सबब।
✾ हज हसन बसश्री रहमातुल्लाही अलैही बयान करते हे के मुझे ये बात पूछी हे के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:
अल्लाह ने ल'नात कि देख्ने वाले पर, या हम पर भी जिस को देखा गया। (ℳishkaaT: 270)
के इरशादे नबवी से मालूम हुवा के जो मर्द किसी नमाहराम औरत को या किसी के सतार को देखता हे उस पर अल्लाह की लानत नाजिल होती हे वा वो अल्लाह की रहमत से महरुम हो जाता हे।
इसी तराह जो और चाहती उसले देख जाये या बन संवार कर निकालती उसले पर भी अल्लाह की ल'नात हे वा वो भी अल्लाह की रहमत से महरूम हो जाती हे।
खराब नाजरी के नुक्सानात
आज हामारे ℳआशरे मे खराब नजरी बहुत आम हो गई हे, क्या गुनाह से नौजवान तो तबा हुवे ही लेकिन फिल्मो वा टिभी की वाजह से छोटे छोटे बच्चो वा बच्चीयो को भी इस नशे की आदत पर गई गुनाप हे। बचा नही पाटे।
बद नाजरी जहाँ एक खतनाक गुनाह वह वाही दिनी या दुनियावी नुक्सान का बहुत बडा सबब हे।
बद नाजरी से होने वाले नुक्सान नात का जब जाइजा लेंगे तो पता चलेगा बहुत सारी बिमरीयो का इलाज हम डाक्टर्स के पास ताल करता रहे जब के सहिह इलाज ‘बाद नाजरी’ से बच्ने मे था।
चलो शुरु करता है "बाद नाजरी के नुक्सान" को गिन।
"क्या तुम जाने न हो के अल्लाह तुम्हे देख रहा हो?"
खराब नाजरी से बच ने के लिए बहुत सारे इलाज बता गये, इलाजो मे से जो भी मुनासिब समझीँ के जरिये से जल्द आज जल्द है मुहलिक बिमारी का इलाज किया जाये वारना यही बिमारी ‘जिना’ जस्ले खतरना।
बदनाजरी (लस्टफुल झलक) हजरत पीर मौलाना जुल्फिकार अहमद नकशबन्दी द्वारा उर्दू पुस्तक यो इस्लामी पुस्तक नि: शुल्क डाउनलोड एपीके ढाँचामा उपलब्ध छ।. यो इस्लामी पुस्तक मकतबा मिलत देव ब्यान्ड यूपी भारत द्वारा प्रकाशित। उर्दूमा खराब नाजरी की तबहकारीन और इलाज र खराब नाजरी के नुक्सनतको बारेमा पढ्नुहोस्। तपाईले इर्शाद उल अस्री र बदनाजरी और इश्क ए मिजाजी की तबह करियां और उस का इलाज हजरत मौलाना शाह हकीम मुहम्मद अख्तर द्वारा पढ्नुहुन्छ।
मा अपडेट गरिएको
२०२३ जुलाई ७