శివ మహాపురాన్ యొక్క అన్ని అధ్యాయాలను హిందీలో ఆడియోగా వినండి & శివ పురాన్ చదవండి.
'' सम्बन्ध शैव है पुराण में शिव-शिव-महिमा प्रचार-प्रसार : सभी पुराणों में शिव को,, वात्सल्य कहा गया है सहज ही प्रसन्न हो किन्तु 'शिव' में शिव के जीवन रहन रहन-सहन, विवाह और रहन
शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी में इन्हें संहार देवता गया है अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की तुलना में शिवोपासना देवताओं की सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे तो स्वच्छ,, कंटीले और यथा यथा-धूतरा को मनोरम वेशभूषा अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं तो औघड़ बाबा , गले में लिपटे मालाएं,, चिता की उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है वेशभूषा 'जीवन' और 'मृत्यु' बोध होता पर गंगा और –जीवन एवं कला के द्योतम पर चिता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है यह जीवन गंगा की भांति हुए
'' जिन्हें 'अशिव' और 'भेष' वे, है जन-सुलभ वे '' हैं समुद्र थे, तब थे तब थे ग्रहण करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ शिव ने महाविनाशक विष को अपने से शिव नीलकंठ विष के प्रभाव उनका कंठ नीला पड़ गया
परोपकारी और का पुराण: भक्ति ग्रन्थ है के मान्य पांच विषयों का 'शिव पुराण' में अभाव पुराण में कलियुग पापकर्म 'मुक्ति' शिव-
को निष्काम अपने समस्त कर्म शिव वेदों और उपनिषदों 'प्रणव - ॐ' के 'गायत्री मन्त्र' के जप को इस पुराण संहिताओं सका होता, जो मोक्ष कारक ये-विद्येश्वर,,,,, कैलास संहिता, (भाग) वायु संहिता (भाग)
विभाजन के साथ सर्वप्रथम 'शिव पुराण' का माहात्म्य इस प्रसंग में एक पतिता 'शिव पुराण' सुनकर स्वयं , वह अपने कुमार्गगामी पति भी मोक्ष शिव पूजा की विधि बताई गई कथा सुनने उपवास आदि न करने भूखे पेट कथा में मन नहीं साथ ही, बासी, वायु विकार बैंगन,,, प्याज,, गाजर मांस-
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29 మార్చి, 2022