अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, इस बात का रिमाइंडर है कि हम अभी तक समाज में लैंगिक समानता नहीं ला पाए हैं. हर दिन लाखों महिलाएं उत्पीड़न, यौन शोषण, कम वेतन मिलना या इससे भी बुरे अनुभवों से होकर गुज़रती हैं. मेरे साथ काम करने वाली महिलाओं ने इन सभी चीज़ों को झेला है. हमें अभी काफ़ी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि हम एक दिन ऐसा समाज ज़रूर बना पाएंगे.