कुमारसंभवम् का अर्थ है - कुमार का जन्म। पार्वती के जन्म से लेकर शिव से उसके विवाह तक का कथानक ही आठवें सर्ग तक वर्णित है और कुमार के जन्म की कथा इसमें समाविष्ट नहीं है, अतः इसे अपूर्ण मानकर परवर्ती किसी कवि ने पूरा किया होगा, यह संभव है। एक परंपरागत मान्यता यह भी है कि आठवें सर्ग में उमा-महेश्वर के रमण का चित्रण करने के कारण कालिदास को शापग्रस्त होना पड़ा, उन्हें कोढ़ हो गया और फिर इस काव्य को वे पूर्ण न कर सकें। आधुनिक विद्वानों में से कुछ का यह भी मत है कि कालिदास की दृष्टि में आठवें सर्ग में ही काव्य पूरा हो जाता है, शिव और पार्वती के अटूट प्रेम और मांगलिक दांपत्य में कुमार के जन्म की संभावना निर्देशित है।