Icchashakti (Hindi edition): Will Power Ka Chamatkar

· WOW Publishings Private Limited · Rajesh Bathija द्वारे सुनावणी
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अपनी इच्छाशक्ति को कैसे जगाएँ


* क्या आप हर साल की शुरुआत में संकल्प लेकर उसे पूरा करना चाहते हैं?

* क्या आप गलत आदतों से छूटकारा पाकर, स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं?

* क्या आप अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहते हैं?

* क्या आप क्षणिक मोह में फँसकर अनावश्यक चीज़ें खरीदने से बचना चाहते  हैं?

                यदि ‘हाँ’ तो इस पुस्तक की मदद से अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत बनाएँ। इंसान की चाहत बुलंद है तो उसे कहीं न कहीं से रास्ता मिल ही जाता है। अन्यथा वह बहानों में बहकर अपनी इच्छाशक्ति को कमज़ोर बना देता है।

                जैसे कई बार पता होने के बावजूद कि सेहत का खयाल रखना आवश्यक है, इंसान उट-पटांग चीजें खा लेता है और बहाने देता है कि ‘फलाँ ने बहुत जबरदस्ती की...’ या ‘खाना फेंकना सही नहीं है इसलिए खा लिया...’ आदि। ऐसे में उसे समझना होगा कि ‘कहीं यह बहाने तो नहीं हैं... असल में मेरी इच्छाशक्ति कमजोर तो नहीं।’

                तो आइए, इस पुस्तक द्वारा जानें अपनी इच्छाशक्ति को दृढ़ बनाने के आसान उपाय क्योंकि इच्छाशक्ति वह साधन है, जिसके ज़रिए आप अपने जीवन में आश्‍चर्यजनक परिणाम पा सकते हैं।

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लेखकाविषयी

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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