इतिहास (Hindi Stories): Itihas (Hindi Stories)

· Bhartiya Sahitya Inc.
5.0
4 reviews
Ebook
120
Pages
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About this ebook

लोग कहते हैं कि समाज में अपनी इज़्ज़त ब़ढ़ाने के लिए लोगों से मिलना-जुलना ज़रूरी होता है, लेकिन यह बात कुछ ठीक नहीं मालूम होती, क्योंकि बहुत से लोग सुमेर को शायद इसीलिए जानते हैं कि वह कहीं आता-जाता नहीं, किसी से मिलता–जुलता नहीं। कुछ लोग तो ‘फ़िलॉसफ़र’ कहकर अपने मन को समझा लेते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि गणित विषय ही ऐसा है, इन्सान को निकम्मा बना देता है, दुनिया के किसी काम का नहीं रखता। कुछ लोग कहते हैं अपने को लगाता है। बहरहाल किसी ने कभी यह पता लगाने की जरूरत नहीं समझी कि उसकी ज़िन्दगी में अवकाश के क्षण हैं भी या नहीं। हजरत सफशिकन की मैयत पर सर धुनने वाले नवाब साहब को अगर कोई यह समझाने की कोशिश करता कि दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अपनी प्यारी बीवी की मज़ार पर भी दो आँसू गिराने की फुर्सत नहीं होती तो वह कहते—क्या चण्डूखाने की उड़ायी तुमने मियाँ।

Ratings and reviews

5.0
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Mohan Regar
October 20, 2016
its very good book nd I'm so chengesn this book read .
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Tulsi Majumdar
November 23, 2017
Nice book
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About the author

अमृत राय

 

जन्म- 1921, वाराणसी, उत्तर प्रदेश;

 

मृत्यु- 1996

 

उपन्यासकार, निबन्धकार, समीक्षक, अनुवादक थे। अमृत राय प्रेमचंद के छोटे बेटे हैं। पिता की तरह मूलतः कहानीकार व उपन्यासकार। श्रेष्ठ अनुवादक व जीवनीकार के रूप में भी ख्याति। व्यंग्यकार और समालोचक भी। प्रेमचंद की जीवनी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। नाट्य-लेखन में भी सक्रिय रहे। अंग्रेजी, बंगला और हिन्दी पर समान अधिकार।इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये प्रगतिशील साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

 

अमृत राय प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद के पुत्र थे। अमृतराय जी का विवाह सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बेटी सुधा चौहान से हुआ था। इनकी पत्नी सुधा ने सुभद्रा कुमारी चौहान तथा अपने पिता लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी लिखी-' मिला तेज से तेज'

 

सम्पादक : प्रेमचंद की बिखरी रचनाओं के संपादन के अतिरिक्त आपने 'हंस' का संपादन अपने ही अंदाज़ में किया। यह 'हंस' और 'नई कहानी' के सम्पादक रहे हैं।

 

कृतियाँ : 'साहित्य में संयुक्त मोर्चा', 'सुबह का रंग', 'लाल धरती', 'नई समीक्षा', 'नागफनी का देश', 'हाथी के दांत', 'अग्निशिखा', 'फांसी के तख्ते से', 'कस्बे का एक दिन', 'गीली मिट्टी', 'कठघरे', 'जंगले', 'सहचिंतन', 'भटियाली', 'आधुनिक भावबोध की संज्ञा', 'बतरस', 'चतुरंग', 'सारंग' और 'धुआं'।

 

'प्रेमचन्द', 'कलम का सिपाही'( जीवनी), 'बीज' (उपन्यास), 'तिरंगा कफ़न' (कहानी-संग्रह)

 

अनुवाद : 'स्पार्टाकस' का अनुवाद 'आदिविद्रोही', 'हैमलेट' का, 'समरगाथा'।

 

पुरस्कार : अमृतराय जी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।


 

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