एकाग्रता ही सभी प्रकार के ज्ञान की नींव है, इसके बिना कुछ भी करना सम्भव नहीं है। ज्ञानार्जन के लिए किस प्रकार मन को एकाग्र करना चाहिए इसका दिग्दर्शन इस पुस्तिका में किया गया है। एकाग्र मन एक सर्च लाइट के समान है। सर्चलाइट हमें दूर तथा अँधेरे कोनों में पड़ी वस्तुओं को भी देखने में समर्थ बनाता है
Health, mind & body
रेटिंग आणि पुनरावलोकने
४.२
२.३८ ह परीक्षणे
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1
Amol Chaudhari
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२ नोव्हेंबर, २०१७
very good
२ लोकांना हे परीक्षण उपयुक्त वाटले
shanteshwar hagalgude
अनुचित म्हणून फ्लॅग करा
११ सप्टेंबर, २०१७
Very good
३ लोकांना हे परीक्षण उपयुक्त वाटले
Sanket Patil
अनुचित म्हणून फ्लॅग करा
२३ जुलै, २०१७
Good
२ लोकांना हे परीक्षण उपयुक्त वाटले
लेखकाविषयी
स्वामी विवेकानन्द(जन्म: 12 जनवरी,1863 - मृत्यु: 4 जुलाई,1902)
वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।
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