एक नदी दो पाट (Hindi Sahitya): Ek Nadi Do Paat (Hindi Novel)

·
· Bhartiya Sahitya Inc.
4,0
153 կարծիք
Էլ. գիրք
172
Էջեր
Կարելի է ավելացնել

Այս էլ․ գրքի մասին

'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय। वह देखो सामने लहराते हुए खेत! इसमें कितने विभिन्न व्यक्ति काम करते हैं और इस धरती का भला ही होता है...वह देखो बल खाती हुई नदी। इसके दो किनारे हैं और नदी को प्रवाह देने के लिए दोनों का होना आवश्यक है।' 'एक नदी दो किनारे...जीवन-भर एक-दूसरे को देखते हैं, परन्तु कभी मिल नहीं पाते।' 'दोनों किनारे मिल भी सकते हैं।' 'कैसे?'!

Գնահատականներ և կարծիքներ

4,0
153 կարծիք

Հեղինակի մասին


गुलशन नन्दा
(मृत्यु 16 नवम्बर 1985)
हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार तथा लेखक थे जिनकी कहानियों को आधार रख 1960 तथा 1970 के दशकों में कई हिन्दी फ़िल्में बनाई गईं और ज़्यादातर यह फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस में सफल भी रहीं। उन्होंने अपने द्वारा लिखी गई कुछ कहानियों की फ़िल्मों में पटकथा भी लिखी। उनके द्वारा लिखी गई कुछ हिट फ़िल्मों के नाम हैं- काजल, पत्थर के सनम, कटी पतंग, खिलौना, शर्मीली इत्यादि हैं।
इसके आलावा उनके लिखे कुछ उपन्यासों के नाम हैं - अजनबी, अन्धेरे चिराग, आसमान चुप है, कटी पतंग, कलंकिनी, काँच की चूड़ियाँ, काली घटा, गुनाह के फूल, गेलार्ड, घाट का पत्थर, चिनगारी, जलती चट्टान, झील के उस पार, टूटे पंख, डरपोक, तीन इक्के, तीन रंग, देव छाया, नीलकंठ, पत्थर के होंठ, पिंजरा, प्यासा सावन, भँवर, माधवी, मेंहदी, मैं अकेली, रूपमती, वापसी, सांवली रात, सितारों से आगे, सिसकते, सूखे पंड़ सब्ज़ पत्ते आदि।     

Գնահատեք էլ․ գիրքը

Կարծիք հայտնեք։

Տեղեկություններ

Սմարթֆոններ և պլանշետներ
Տեղադրեք Google Play Գրքեր հավելվածը Android-ի և iPad/iPhone-ի համար։ Այն ավտոմատ համաժամացվում է ձեր հաշվի հետ և թույլ է տալիս կարդալ առցանց և անցանց ռեժիմներում:
Նոթբուքներ և համակարգիչներ
Դուք կարող եք լսել Google Play-ից գնված աուդիոգրքերը համակարգչի դիտարկիչով:
Գրքեր կարդալու սարքեր
Գրքերը E-ink տեխնոլոգիան աջակցող սարքերով (օր․՝ Kobo էլեկտրոնային ընթերցիչով) կարդալու համար ներբեռնեք ֆայլը և այն փոխանցեք ձեր սարք։ Մանրամասն ցուցումները կարող եք գտնել Օգնության կենտրոնում։