कविशाला

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 कविशाला – कविता और कवियों के लिए एक ऐसा माध्यम है जहाँ पर कवि अपनी कविता लिखा सकते है, लोगो के साथ साझा कर सकते है और लोगो के साथ चर्चा कर सकते है ! करीब सात महीने पहले इस बेबसाइट की शुरुआत हुयी थी और इस सात महीनों में कविशाला ने अच्छा प्रदर्शन किया है आज. जनवरी २०१७ में करीब पांच सौ से ज्यादा कवि, पांच हजार से ज्यादा कविता लोग कविशाला साझा कर चुके है ! 'कविशाला' कविता और जनता के बीच की एक कड़ी बनना चाहता है, ऐसी कड़ी जिससे सभी प्रकार की कविता जनता तक पहुच सके ! कवि छोटा हो या बड़ा हो, कवी नया हो या पुराना - सभी अपनी बात कवितामयी तरीके से जनता तक रख सके, यही एक स्वप्न है जिसके लिए कविशाला आपके साथ और आप कविशाला के साथ है !कविता के इस अनोखे पाठशाला से जुड़े सभी लोगो का धन्यवाद !

ስለደራሲው

 अंकुर मिश्र "युगल"

जन्म: १० मई १९९०, सुमेरपुर,हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)
बचपन से कलम से मित्रता रही है, कभी रफ कापी न होने पर अख़बार में गणित के सवाल हल किये तो कभी, कलम से अख़बार में समाज को लिखा ! हिंदी माध्यम से बारहवीं तक फिर दिल्ली से इंजीनियरिंग करते हुए हिंदी में लेखन कार्य जारी रखा, अब तक हिंदी और अंग्रेजी में १००० से ज्यादा गद्य और पद्य अनेक पत्र पत्रिकाओ में प्रकाशित हो चुके है !
नई किताब, अंकुर मिश्र की तीसरी किताब है, इस किताब के माध्यम से लेखक ने एक सामान्य व्यक्ति का जीवन दिखाया है - वो किस किस व्यथाओं और व्यवस्थाओ का सामना अपने जीवन में करता है !
तकनीक और प्रोद्योगिकी से समाज की व्यथाओ का समाधान निकलने के लिए संघर्षरत ! हमेशा कुछ नया और समाज के लिए लिखने का सपना !

आजकल दिल्ली के दिल में निवास है..

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