गुप्त धन 2 (Hindi Sahitya): Gupt Dhan-2 (Hindi Stories)

· Bhartiya Sahitya Inc.
3,3
3 atsauksmes
E-grāmata
337
Lappuses
Piemērota

Par šo e-grāmatu

एक रोज़ शाम के वक़्त मैं अपने कमरे में पलंग पर पड़ी एक किस्सा पढ़ रही थी, तभी अचानक एक सुन्दर स्त्री मेरे कमरे में आयी। ऐसा मालूम हूआ कि जैसे कमरा जगमगा उठा। रुप की ज्योति ने दरो-दीवार को रोशन कर दिया। गोया अभी सफ़ेदी हुई है। उसकी अलंकृत शोभा, उसका खिला हुआ, फूल जैसा लुभावना चेहरा, उसकी नशीली मिठास, किसकी तारीफ़ करुँ। मुझ पर एक रोब-सा छा गया। मेरा रुप का घमंड धूल में मिल गया है। मैं आश्चर्य में थी कि यह कौन रमणी है और यहाँ क्योंकर आयी। बेअख़्तियार उठी कि उससे मिलूँ और पूछूँ कि सईद भी मुस्कराता हुआ कमरे में आया। मैं समझ गयी कि यह रमणी उसकी प्रेमिका है। मेरा गर्व जाग उठा। मैं उठी ज़रुर पर शान से गर्दन उठाए हुए आँखों में हुस्न के रौब की जगह घृणा का भाव आ बैठा। मेरी आँखों में अब वह रमणी रुप की देवी नहीं डसने वाली नागिन थी। मैं फिर चारपाई पर बैठ गई और किताब खोलकर सामने रख ली- वह रमणी एक क्षण तक खड़ी मेरी तस्वीरों को देखती रही तब कमरे से निकली चलते वक़्त उसने एक बार मेरी तरफ़ देखा उसकी आँखों से अंगारे निकल रहे थे। जिनकी किरणों में हिंस्र प्रतिशोध की लाली झलक रही थी। मेरे दिल में सवाल पैदा हुआ- सईद इसे यहाँ क्यों लाया ? क्या मेरा घमण्ड तोड़ने के लिए ?

Vērtējumi un atsauksmes

3,3
3 atsauksmes

Par autoru

प्रेमचंद

(31 जुलाई, 1880 - 8 अक्टूबर 1936)

हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव वाले प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में की तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं।

Novērtējiet šo e-grāmatu

Izsakiet savu viedokli!

Informācija lasīšanai

Viedtālruņi un planšetdatori
Instalējiet lietotni Google Play grāmatas Android ierīcēm un iPad planšetdatoriem/iPhone tālruņiem. Lietotne tiks automātiski sinhronizēta ar jūsu kontu un ļaus lasīt saturu tiešsaistē vai bezsaistē neatkarīgi no jūsu atrašanās vietas.
Klēpjdatori un galddatori
Varat klausīties pakalpojumā Google Play iegādātās audiogrāmatas, izmantojot datora tīmekļa pārlūkprogrammu.
E-lasītāji un citas ierīces
Lai lasītu grāmatas tādās elektroniskās tintes ierīcēs kā Kobo e-lasītāji, nepieciešams lejupielādēt failu un pārsūtīt to uz savu ierīci. Izpildiet palīdzības centrā sniegtos detalizētos norādījumus, lai pārsūtītu failus uz atbalstītiem e-lasītājiem.