साधना का क्षेत्र एक गहरे समुद्र की तरह है,जिसकी गहराई का आपको अंदाजा नहीं होता ।
जिसमें आप उतर गए तो आपको सहारे की जरूरत होती है ।
सहारे का मतलब ऐसा व्यक्ति जो साधनाओं को भी जानता हो और आपकी क्षमताओं को भी जानता हो ।
वही व्यक्ति आपकी मदद कर सकता है !
आपका सहारा बन सकता है !!
यही कार्य गुरु करता है !!!
गुरु का अर्थ कोई व्यक्ति या उसका शरीर नहीं होता बल्कि उस शरीर के अंदर में जो ज्ञान होता है साधना का जो तेज होता है उसे गुरु कहते हैं ।
Just a common man