गिरीशचंद्र घोष / Girishchandra Ghosh

· Ramakrishna Math, Nagpur
ଇବୁକ୍
500
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ଏହି ଇବୁକ୍ ବିଷୟରେ

बंगालमध्ये गिरीशचंद्र हे प्रखर बुद्धिवादी, प्रतिभाशाली साहित्यिक, कवी, नाटककार आणि नट म्हणून प्रसिद्ध आहेत परंतु ते बाहेरख्याली, निर्भिड कलंदरवृत्तीचे भोगलोलुप व मद्यपी होते. आधुनिक वंगसाहित्यात त्यांना ‘महाकवी’ हे बिरुद लावले जाते. बहुआयामी पण अत्यंत सैल चरित्र असलेल्या गिरीशांचा भगवान श्रीरामकृष्णांशी संपर्क आल्यावर त्यांच्या जीवनात आमूलाग्र परिवर्तन झाले. भगवत्कृपा झाल्यास दुरात्मा सुद्धा महात्मा होतो हे गिरीश घोषांच्या चरित्राने वाचकांच्या मनात ठसते. अनेक वाईट सवयी असूनही गिरीशांचा भगवान श्रीरामकृष्णांवरील विश्वास ज्वलंत आणि खरा होता; आणि म्हणूनच श्रीरामकृष्णांचे ते सतत स्मरण करू शकले. अशा प्रकारच्या स्मरण-मननानेच ते महात्मा बनले. ‘असतो मा सद्गमय’ या श्रुतिवाक्याचे प्रत्यंतर गिरीशचंद्रांच्या जीवनात दृग्गोचर होते.

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