चाँद अकेला रह गया

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"प्रिय पाठकों! सबसे पहले मैं हृदय से आपका धन्यवाद करना चाहूँगी जो आपने मेरी इस किताब को अपनी खूबसूरत आंखों के आगे रखा है। जैसा कि आप मेरी किताब का शीर्षक देख चुके होंगे "चाँद अकेला रह गया" यह शीर्षक इस किताब की एक कविता से लिया गया है। यह कविता मैनें कक्षा 10 में लिखी थी। और यह कविता मेरे लिए बहुत ख़ास है। और मेरी दोस्त SPINDER की ख्वाहिश थी कि मैं अपनी किताब का यही शीर्षक रखूं। 

प्रिय पाठकों लेखन की तरफ़ यह मेरा पहला प्रयास है। मैं अपनी रचनाओं के माध्यम से बस यही कहना चाहूँगी की जीवन चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। और जीवनपथ पर आगे बढ़ते रहना चाहिए। 

मेरी यह किताब E-Publishing House (अभिव्यक्ति साहित्य) के द्वारा प्रकाशित की गई है। चूंकि यह किताब एक E-Book है इसलिए यह आपको Google Play Stor पर उपलब्ध होगी।

 अपने पाठकों से मेरा निवेदन है कि अगर आपको मेरी रचनाएं पसंद आए तो like, share, review देना ना भूलें।

         "जीवन वह पहेली है जिसको समझना और सुलझाना बस हमारे साथ में है"

                                      - सुनैना बौद्ध मौर


Thanks to my sweet family, my dear parents, my dear school teachers my friends . 

 Special thanks:- Mrs. Chanderkanta , Mr. Ramswaroop Mirok (Hindi Lect.) 




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अभिव्यक्ति साहित्य द्वारा एक कार्यक्रम शुरू किया गया है इसमें हम e-Publishing की सेवा उपलब्ध करा रहे हैं। इसके तहत जो भी कवि लेखक या शायर अपनी रचना को प्रकाशित करना चाहते हैं वह कर सकते हैं। नए साहित्यकारों के लिए निशुल्क सेवा भी उपलब्ध है जहां बिना कोई खर्चा किए आप अपनी किताब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन प्रकाशित कर सकते हैं। इस पब्लिकेशन में आपकी किताब को गूगल प्ले स्टोर पर प्रकाशित किया जाएगा।


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За автора

बचपन से ही मुझे लिखने का शौक था बस शौक था, लिखना नहीं आता था। हाँ एक लक्ष्य था की मैं एक कवयित्री बनूं। प्रिय पाठकों आपका बहुत बहुत आभार जो आप मेरी रचनाएं पढ़ने जा रहे हैं। मेरा नाम सुनैना है और मैं पापा की छ: परियों में से एक हूँ। मेरे पापा श्री धरमवीर एक किसान है और माताजी श्रीमती गुलाबो देवी एक घरेलू महिला हैं। हम सात बहन भाई है तीन मुझसे बड़े हैं संदीप, मोनू, रमन और तीन छोटे हैं रेखा, रेनु, सुमन। मैं अपने परिवार के साथ हरियाणा के सिरसा जिले के छोटे से गाँव भरोखाँ में रहती हूँ। 2019 में मैंने अपनी  कक्षा 12 उत्तीर्ण की है और फ़िलहाल मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से BA कर रही हूँ। जुलाई 2019 से वही पर रह रही हूँ। पुरा परिवार चाहता है कि मैं IPS आफिसर बनूं और मेरा भी यही सपना है। लेकिन लिखना तो एक कला है और कला ईश्वर का दिया हुआ उपहार है और ईश्वर को कभी मना नहीं किया जाता। इसी कारण मैं अपने सपने के साथ अपनी कला को भी समय देती हूँ। मैं तथागत गौतम बुद्ध की अनुयायी हूँ और उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज कल्याण में अपना पुरा सहयोग देना चाहती हूँ।


*"दूसरों की बजाय यदि आपको सफलता देर से मिलती है तो निराश मत होना क्योंकी मकान बनने से अधिक समय महल बनने में लगता है"


*"व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है वो जो सोचता है वो बन जाता है "

                                                                   -तथागत गौतम बुद्ध

  


                                                                               Miss. Sunaina Bauddh Maur D/  

                                                                               Mr. Dharamveer Maur

                                                                              BA (1st) Year Student of 

                                                                         Daulat Ram College Delhi University, 

                                                                         New Delhi. 



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