ज़िंदगी के पलों में हम कई दफा खुशी तो कई दफा गम का अनुभव करते हैं, पर कई बार गम या खुशी इतनी गहरी होती है की दुनिया के तमाम शब्दों को खर्च करने पर भी हम उसे बयाँ नहीं कर सकते। यह किताब उन्हीं खर्च किए हुए तमाम शब्दों का परिणाम स्वरुप है और उस दौड़ का नतीजा जिसे लोग ज़िंदगी कहते हैं।
Izilinganiso nezibuyekezo
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Mayelana nomlobi
संजीव कुमार शाह राजस्थान के अलवर जिले से हैं| इन्होंने महज़ १३ वर्ष की आयु से लेखन कार्य आरम्भ किया| इन्होने फाइन आर्ट्स में डिप्लोमा किया है| ‘ज़िंदगी में गुज़ारे कुछ पल’ इनकी पहली किताब है| इनकी रूचि कविताओं के साथ साथ चित्रकला में भी है|