उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
हम त्रयंबक (त्रिनेत्र - भगवान शिव) को पूजते हैं, जो सुगंधी-पुष्टि को बढ़ाने वाले हैं। हमें मृत्यु के (सांसारिक) बंधनों से वैसे ही मोक्ष दें, (नश्वरता से) अमरत्व दें, जिस तरह ककड़ी (पक कर संपूर्णता को प्राप्त करके) अपने (शाखाओं के) बंधनों से मुक्त हो जाती है ।। )
मैं व्यक्तिगत रूप से महामृत्युंजय मंत्र के शाब्दिक अर्थ को समस्त संसार की माया के स्रोत, त्रिगुणातीत ईश्वर से की गई ऐसी प्रार्थना के रूप में लेता हूं, जिसमें याचक प्रकृति के सहज प्रवाह से मिलने वाली परिपक्वता का आवाहन कर रहा है, स्वागत कर रहा है। वह परिपक्वता, जो उसे उसके क्षण-क्षण के अनुभवों में कण-कण-वासी ईश्वर का साक्षात्कार कराते हुए उसे सांसारिक उलझनों-बंधनों से मुक्त कर दे। यह प्रक्रिया ककड़ी और लौकी जैसे घनी लताओं वाले फलों-सब्जियों में बड़े ही रोचक ढंग से दिखती है। इनके फलों के पकने (परिपक्व होने) पर आसपास की घनी लताएं स्वतः सूखकर ढीली पड़ जाती हैं और फल को अपने बंधनों से मुक्त करती चली जाती हैं।
प्रस्तुत संस्मरण कथा श्रृंखला - “अनुभूतियां” की हर कहानी को मैंने अपने जीवन के ऐसे क्षणिक अनुभूतियों के आस-पास की असल घटनाओं से बुना है, जिन्होंने मुझे मनुष्य के तौर पर गहरे छुआ है, मुझे परिपक्व होने में मदद की है। मैंने बोल-चाल की सरल भाषा में अपनी असल जिंदगी की उन्हीं घटनाओं को लिया है जिससे वह अनुभूति अपनी संपूर्ण पृष्ठभूमि में निखर कर पाठक को भी छू सके। इसलिए श्रृंखला होने के बावजूद सभी कहानियां अपने आप में स्वतंत्र भी हैं और पूर्ण भी।
“जेब खाली नहीं रखते” इस श्रृंखला की ही नहीं बल्कि पेशेवर लेखक के तौर पर लिखी मेरी पहली कहानी है।
पाठकों के सुझावों और समीक्षाओं के इंतजार में…
स्वर्ण प्रकाश
swarn.mall@gmail.com
12th September, 2021
।।ॐ नमः शिवाय।।
शिक्षा से परास्नातक यांत्रिक इंजीनियर स्वर्ण प्रकाश कुछ वर्षों तक शोधार्थी भी रहे हैं। पेशेवर तौर पर ईपीसी इंजीनियर, एनीमेटर, स्पेशल इफेक्ट कलाकार, एनिमेशन और डिजाइन के प्रशिक्षक, कक्षा - 6 से लेकर इंजीनियरिंग परास्नातक तक की कक्षाओं में शिक्षक के रूप में भी गम्भीर रूप से हाथ आजमा चुके हैं। शिक्षण-प्रशिक्षण की कुछ अंग्रेजी तकनीकी पुस्तकों के लेखन के बाद अब हिन्दी लेखन में भी संस्मरण कहानियों के माध्यम से पदार्पण कर रहे हैं।