जीवनादर्श एवं आत्मानुभूति: Jeevanadarsh Evam Atmanubhuti

· Shree Paramhans Swami Adgadanandji Ashram Trust
4.8
226 na review
E-book
558
Mga Page

Tungkol sa ebook na ito

इस कृति में परमहंस महाराज, योग-योगेश्वर, ब्रह्मलीन स्वामी श्री परमानन्द जी का आदर्श जीवन, आश्चर्यजनक घटनाएँ, आत्मानुभूति के चरमोत्कर्ष पर आसीन कराने वाली उनकी अमर-वाणी, बारहमासी, सदुपदेशों की झलकियाँ, लोकोत्तर शक्तियाँ एवं विद्या का संकलन है। जिसके माध्यम से जीवन पथ पर चलने वाले भाविकों का पथ-प्रदर्शन होता है एवं इसको हृदयंगम करके साधक सर्वोत्कृष्ट लक्ष्य की ऊँचाइयों को छू सकता है। साधकों के लिए यह बहुत उपयोगी ग्रन्थ है।

Mga rating at review

4.8
226 na review

Tungkol sa may-akda

यथार्थ गीता के प्रणेता

योगेश्वर सद्गुरु श्री अड़गड़ानन्द जी महाराज।।

जीवन परिचय


स्वामी श्री अड़गड़ानन्द जी महाराज सत्य की शोध में इतस्ततः विचरण करते तेईस वर्ष की आयु में नवम्बर 1955 ई. को परमहंस स्वामी श्री परमानन्दजी की शरण में आये। श्री परमानन्द जी का निवास चित्रकूट, अनुसूइया, सतना मध्यप्रदेश (भारत) के घोर जंगल में रहा है, जो हिंसक जीव-वस्तुओं का निवास है। ऐसे निर्जन अरण्य में बिना किसी व्यवस्था के उनका निवास, घोषित करता है कि वे एक सिद्ध महापुरुष थे।

पूज्य परमहंस जी को आपके आगमन के संकेत वर्षों पूर्व ही मिलने लगे थे। जिस दिन आप आये परमहंस जी को ईश्वरीय निर्देश मिला, जिसे भक्तों से बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बालक भवसरिता से पार जाने के लिए विकल है, आता ही होगा। आप पर दृष्टि पड़ते ही उन्होंने बताया कि वह बालक यही है। गुरू निर्देशन में चलते हुए, साधना के चरमोत्कर्ष पर परमात्मा का प्रत्यक्ष दर्शन कर, आप उसी परमात्म भाव को प्राप्त महापुरुष हैं।

आपकी शैक्षिक उपाधियाँ तो कोई भी नहीं, लेकिन सद्गुरु- कृपा से पूर्णता प्राप्त कर मानवमात्र के कल्याण में रत हैं... ‘सर्वभूतहितरतं।’ लेखन को आप साधन-भजन में व्यवधान मानते रहे हैं किन्तु गीता भष्य ‘यथार्थ गीता’ के प्रणयन में ईश्वरीय निर्देशन ही निमित्त बना।

भगवान ने आपको अनुभव में बताया कि आपकी सारी वृत्तियाँ शान्त हो चुकी हैं, केवल छोटी-सी एक वृति शेष है, गीताज्ञान के आशय का यथावत् पुनप्रकाशन! पहले तो आपने इस वृत्ति को भजन से काटने का प्रयास किया किन्तु... भगवान के आदेशों का मूर्तरूप है- ‘यथार्थ गीता’।

यथार्थ गीता के रचना काल में भाष्य में जहां भी त्रुटि होती, भगवान उसे सुधार देते थे! पूज्यश्री की ‘स्वान्तः सुखाय’ यह कालजवी कृति सर्वान्तः सुखाय हो चली है। आर्यावर्त भारत ही नहीं विश्व के मानवमात्र के कल्याण में रत है, संलग्न है।

I-rate ang e-book na ito

Ipalaam sa amin ang iyong opinyon.

Impormasyon sa pagbabasa

Mga smartphone at tablet
I-install ang Google Play Books app para sa Android at iPad/iPhone. Awtomatiko itong nagsi-sync sa account mo at nagbibigay-daan sa iyong magbasa online o offline nasaan ka man.
Mga laptop at computer
Maaari kang makinig sa mga audiobook na binili sa Google Play gamit ang web browser ng iyong computer.
Mga eReader at iba pang mga device
Para magbasa tungkol sa mga e-ink device gaya ng mga Kobo eReader, kakailanganin mong mag-download ng file at ilipat ito sa iyong device. Sundin ang mga detalyadong tagubilin sa Help Center para mailipat ang mga file sa mga sinusuportahang eReader.