देहाती समाज (Hindi Novel): Dehati Samaj (Hindi Novel)

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बाँग्ला के अमर कथाशिल्पी शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय प्रायः सभी भारतीय भाषाओं में पढ़े जाने वाले शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं। उनके कथा-साहित्य की प्रस्तुति जिस स्वरूप में भी हुई, लोकप्रियता के तत्त्व ने उनके पाठकीय आस्वाद में वृद्धि ही की। सम्भवतः वह अकेले ऐसे भारतीय कथाकार भी हैं, जिनकी अधिकांश कालजयी कृतियों पर फिल्में भी बनीं तथा अनेक धारावाहिक सीरियल भी। अपने विपुल लेखन के माध्यम से शरत् बाबू ने मनुष्यों को उनकी मर्यादा सौंपी और समाज की उन तथाकथित ‘परम्पराओं को ध्वस्त किया, जिनके अन्तर्गत नारी की आँखें अनिच्छित आँसुओं से हमेंशा छलछलाई रहती हैं। समाज द्वारा अनसुनी रह गई वंचितों की बिलख-चीख और आर्तनाद को उन्होंने परखा तथा गहरे पैठकर यह जाना कि जाति, वंश और धर्म आदि के नाम पर एक बड़े वर्ग को मनुष्य की श्रेणी से ही अपदस्थ किया जा रहा है। इस षड्यन्त्र के अन्तर्गत पनप रही तथाकथित सामाजिक ‘आम सहमति’ पर उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से रचनात्मक हस्तक्षेप किया, जिसके चलते वह लाखों-करोंड़ों पाठकों के चहेते शब्दकार बने। नारी और अन्य शोषित समाजों के धूसर जीवन का उन्हें चित्रण ही नहीं किया, बल्कि उनके आम जीवन में आच्छादित इन्द्रधनुषी रंगों की छटा भी बिखेरी है। प्रेम को आध्यात्मिकता तक ले जाने में शरत् का विरल योगदान है। शरत्-साहित्य आम आदमी के जीवन को जीवंत करने में सहायक जड़ी-बूटी सिद्ध हुआ है

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Sobre o autor

 शरतचंद्र चट्टोपाध्याय
(15 सितंबर, 1876 ई. - 16 जनवरी, 1938 ) 

बँगला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे।


प्रमुख रचनाएँ

पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना पथेर दावी आदि

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