धर्मरहस्य (Hindi Self-help): Dharma Rahasya (Hindi Self-help)

· Bhartiya Sahitya Inc.
4.1
61 ביקורות
ספר דיגיטלי
54
דפים
כשיר

מידע על הספר הדיגיטלי הזה

प्रस्तुत पुस्तक स्वामी विवेकानन्द के धर्म सम्बन्धी प्रसिद्ध व्याख्यानों का संग्रह है। इनमें धर्म के सार्वभौमिक स्वरूप के महत्व को अत्यन्त विशद रीति से पुरस्सर किया गया है तथा समस्त धर्मों के अन्तिम ध्येय - आत्मदर्शनलाभ के उपायों पर भी प्रकाश डाला गया है। स्वामीजी ने धर्म के व्यावहारिक स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी सिद्ध करने की चेष्टा की है कि धर्म द्वारा समाज में नवजीवन का किस प्रकार संचार हो सकता है। उन्होंने बड़े प्रबल तर्कों द्वारा यह आग्रह किया है कि वर्तमान युग में उसी धर्म की आवश्यकता है जो ''मनुष्य'' का निर्माण कर सके।

דירוגים וביקורות

4.1
61 ביקורות

על המחבר

स्वामी विवेकानन्द(जन्म: १२ जनवरी,१८६३ - मृत्यु: ४ जुलाई,१९०२)
वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। जीवन की महत्त्वपूर्ण तिथियाँ12 जनवरी 1863 -- कलकत्ता में जन्म1879 -- प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश1880 -- जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन में प्रवेशनवंबर 1881 -- रामकृष्ण परमहंस से प्रथम भेंट1882-86 -- रामकृष्ण परमहंस से सम्बद्ध1884 -- स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण; पिता का स्वर्गवास1885 -- रामकृष्ण परमहंस की अन्तिम बीमारी16 अगस्त 1886 -- रामकृष्ण परमहंस का निधन1886 -- वराहनगर मठ की स्थापनाजनवरी 1887 -- वराह नगर मठ में संन्यास की औपचारिक प्रतिज्ञा1890-93 -- परिव्राजक के रूप में भारत-भ्रमण25 दिसम्बर 1892 -- कन्याकुमारी में13 फ़रवरी 1893 -- प्रथम सार्वजनिक व्याख्यान सिकन्दराबाद में31 मई 1893 -- मुम्बई से अमरीका रवाना25 जुलाई 1893 -- वैंकूवर, कनाडा पहुँचे30 जुलाई 1893 -- शिकागो आगमनअगस्त 1893 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रो॰ जॉन राइट से भेंट11 सितम्बर 1893 -- विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में प्रथम व्याख्यान27 सितम्बर 1893 -- विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में अन्तिम व्याख्यान16 मई 1894 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में संभाषणनवंबर 1894 -- न्यूयॉर्क में वेदान्त समिति की स्थापनाजनवरी 1895 -- न्यूयॉर्क में धार्मिक कक्षाओं का संचालन आरम्भअगस्त 1895 -- पेरिस मेंअक्टूबर 1895 -- लन्दन में व्याख्यान6 दिसम्बर 1895 -- वापस न्यूयॉर्क22-25 मार्च 1896 -- फिर लन्दनमई-जुलाई 1896 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान15 अप्रैल 1896 -- वापस लन्दनमई-जुलाई 1896 -- लंदन में धार्मिक कक्षाएँ28 मई 1896 -- ऑक्सफोर्ड में मैक्समूलर से भेंट30 दिसम्बर 1896 -- नेपल्स से भारत की ओर रवाना15 जनवरी 1897 -- कोलम्बो, श्रीलंका आगमनजनवरी, 1897 -- रामनाथपुरम् (रामेश्वरम) में जोरदार स्वागत एवं भाषण6-15 फ़रवरी 1897 -- मद्रास में19 फ़रवरी 1897 -- कलकत्ता आगमन1 मई 1897 -- रामकृष्ण मिशन की स्थापनामई-दिसम्बर 1897 -- उत्तर भारत की यात्राजनवरी 1898 -- कलकत्ता वापसी19 मार्च 1899 -- मायावती में अद्वैत आश्रम की स्थापना20 जून 1899 -- पश्चिमी देशों की दूसरी यात्रा31 जुलाई 1899 -- न्यूयॉर्क आगमन22 फ़रवरी 1900 -- सैन फ्रांसिस्को में वेदान्त समिति की स्थापनाजून 1900 -- न्यूयॉर्क में अन्तिम कक्षा26 जुलाई 1900 -- योरोप रवाना24 अक्टूबर 1900 -- विएना, हंगरी, कुस्तुनतुनिया, ग्रीस, मिस्र आदि देशों की यात्रा26 नवम्बर 1900 -- भारत रवाना9 दिसम्बर 1900 -- बेलूर मठ आगमन10 जनवरी 1901 -- मायावती की यात्रामार्च-मई 1901 -- पूर्वी बंगाल और असम की तीर्थयात्राजनवरी-फरवरी 1902 -- बोध गया और वाराणसी की यात्रामार्च 1902 -- बेलूर मठ में वापसी4 जुलाई 1902 -- महासमाधि
 

 

רוצה לדרג את הספר הדיגיטלי הזה?

נשמח לשמוע מה דעתך.

איך קוראים את הספר

סמארטפונים וטאבלטים
כל מה שצריך לעשות הוא להתקין את האפליקציה של Google Play Books ל-Android או ל-iPad/iPhone‏. היא מסתנכרנת באופן אוטומטי עם החשבון שלך ומאפשרת לך לקרוא מכל מקום, גם ללא חיבור לאינטרנט.
מחשבים ניידים ושולחניים
ניתן להאזין לספרי אודיו שנרכשו ב-Google Play באמצעות דפדפן האינטרנט של המחשב.
eReaders ומכשירים אחרים
כדי לקרוא במכשירים עם תצוגת דיו אלקטרוני (e-ink) כמו הקוראים האלקטרוניים של Kobo, צריך להוריד קובץ ולהעביר אותו למכשיר. יש לפעול לפי ההוראות המפורטות במרכז העזרה כדי להעביר את הקבצים לקוראים אלקטרוניים נתמכים.