धूप का चेहरा : बशीर बद्र की ग़ज़लें : Dhoop ka Chehra Bashir Badr ki Ghazalen

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आधुनिक ग़ज़ल का पर्याय बन चुके बशीर बद्र आज के बेहद लोकप्रिय और सम्मानित शायर हैं । जब समकालीन ग़ज़ल की बात चलती है तो बशीर बद्र का नाम अनायास ही होठों पर आ जाता है और फिर याद जाने लगते हैं उनके वे कालजयी शेर, जो हिन्दी-उर्दू बोलने वाले जाम लोगों को बातचीत का हिस्सा बन चुके हैं ।

बशीर बद्र ने अब तक पांच सौ से अधिक ग़ज़लों की रचना की है। जिनमें से एक बड़ी संख्या उन ग़ज़लों को है, जो ग़ज़ल के विकास में एक नया अध्याय जोड़ती हैं । 'उजालों की परियां' के बाद के 'धूप का चेहरा' उनको उत्कृष्ट ग़ज़लों का ऐसा संकलन है, जो आम पाठक अपनी अनुभूतियों का आइना महसूस होगा । 

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