निर्मला: Nirmala

· Diamond Pocket Books Pvt Ltd
4.8
12 reviews
eBook
160
Pages

About this eBook

अद्भुत कथाशिल्पी प्रेमचन्द की कृति निर्मला दहेज प्रथा की पृष्ठभूमि में भारतीय नारी की विवशताओं का चित्रण करने वाला एक सशक्त उपन्यास है। महान कथा-शिल्पी प्रेमचन्द ने अपने इस उपन्यास में समाज में नारी की दशा को अत्यधिक मार्मिक ढंग से चित्रित किया है। यह उपन्यास नवम्बर 1925 से नवम्बर 1926 तक धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ था किन्तु यह इतना यथार्थवादी है कि 60 वर्षों के उपरांत भी समाज की बुराइयों का आज भी उतना ही सटीक एवं मार्मिक चित्र प्रस्तुत करता है।


निर्मला एक ऐसी अबला की कहानी है जिसने अपने भावी जीवन के सपनों को अल्हड़ कल्पनाओं में संजोया किन्तु दुर्भाग्य ने उन्हें साकार नहीं होने दिया। निर्मला की शादी एक सजीले युवक भुवन से तय होने के बाद भी टूट जाती है क्योंकि ठीक शादी के पहले उसके पिता की मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु लड़के वालों को यह विश्वास दिला देती है कि अब उन्हें उतना दहेज नहीं मिलेगा जितने की उन्हें अपेक्षा थी। आखिर निर्मला को तीन बच्चों के प्रौढ़ पिता की पत्नी बनने पर मजबूर होना पड़ता है। और इसके साथ ही शुरू होता है कहानी का मनोवैज्ञानिक ताना-बाना। युवा पत्नी और बेटे मंसाराम के सम्बन्ध साफ-सुथरे हैं, पर तोताराम यही भूल कर बैठता है और यहीं से शुरू होती है गृहस्थ जीवन के विनाश की दर्दनाक लीला। इसमें है तोताराम की असमर्थता, सौतेली मां और संतान के सम्बन्धों की विचित्र स्थिति तथा पलायन और विद्रोह के करुण प्रसंग। इसका अंत सुगढ़, चुस्त और पाठक को अभिभूत कर देने वाला है। इस उपन्यास की एक अन्य विशेषता- करुणा प्रधान चित्रण में कथानक अन्य रसों से भी सराबोर है।

Ratings and reviews

4.8
12 reviews
vishwanath mujawar
18 July 2018
Very good book
Did you find this helpful?
A Google user
8 January 2018
Very good book
3 people found this review helpful
Did you find this helpful?
Rishabh Gupta
16 April 2024
Very good
Did you find this helpful?

Rate this eBook

Tell us what you think.

Reading information

Smartphones and tablets
Install the Google Play Books app for Android and iPad/iPhone. It syncs automatically with your account and allows you to read online or offline wherever you are.
Laptops and computers
You can listen to audiobooks purchased on Google Play using your computer's web browser.
eReaders and other devices
To read on e-ink devices like Kobo eReaders, you'll need to download a file and transfer it to your device. Follow the detailed Help Centre instructions to transfer the files to supported eReaders.