प्रेमचन्द की कहानियाँ - 12 (Hindi Sahitya): Premchand Ki Kahaniya - 12 (Hindi Stories)

· Bhartiya Sahitya Inc.
மின்புத்தகம்
89
பக்கங்கள்
தகுதியானது

இந்த மின்புத்தகத்தைப் பற்றி

मुंशी प्रेमचन्द एक व्यक्ति तो थे ही, एक समाज भी थे, एक देश भी थे। व्यक्ति समाज और देश तीनों उनके हृदय में थे। उन्होंने बड़ी गहराई के साथ तीनों की समस्याओं का अध्ययन किया था। प्रेमचन्द हर व्यक्ति की, पूरे समाज की और देश की समस्याओं को सुलझाना चाहते थे, पर हिंसा से नहीं, विद्रोह से नहीं, अशक्ति से नहीं और अनेकता से भी नहीं। वे समस्या को सुलझाना चाहते थे प्रेम से, अहिंसा से, शान्ति से, सौहार्द से, एकता से और बन्धुता से। प्रेमचन्द आदर्श का झण्डा हाथ में लेकर प्रेम एकता, बन्धुता, सौहार्द और अहिंसा के प्रचार में जीवन पर्यन्त लगे रहे। उनकी रचनाओं में उनकी ये ही विशेषतायें तो है। प्रेमचन्द जनता के कथाकार थे उनकी कृतियों में समाज के सुख-दुःख, आशा-आकाँक्षा, उत्थान-पतन इत्यादि के सजीव चित्र हमारे हृदयों को झकझोरते हैं। वे भारत के प्रमुख कथाकार थे, जिनको पढ़े बिना भारत को समझना संभव नहीं। भारतीय साहित्य संग्रह ने उनकी 322 कहानियों को इस ‘प्रेमचन्द की कहानियां’ श्रृंखला के 46 भागों में सुधी पाठकों पाठकों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। - प्रकाशक

ஆசிரியர் குறிப்பு

प्रेमचंद

(31 जुलाई, 1880 - 8 अक्टूबर 1936)

हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव वाले प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में की तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं।

இந்த மின்புத்தகத்தை மதிப்பிடுங்கள்

உங்கள் கருத்தைப் பகிரவும்.

படிப்பது குறித்த தகவல்

ஸ்மார்ட்ஃபோன்கள் மற்றும் டேப்லெட்கள்
Android மற்றும் iPad/iPhoneக்கான Google Play புக்ஸ் ஆப்ஸை நிறுவும். இது தானாகவே உங்கள் கணக்குடன் ஒத்திசைக்கும் மற்றும் எங்கிருந்தாலும் ஆன்லைனில் அல்லது ஆஃப்லைனில் படிக்க அனுமதிக்கும்.
லேப்டாப்கள் மற்றும் கம்ப்யூட்டர்கள்
Google Playயில் வாங்கிய ஆடியோ புத்தகங்களை உங்கள் கம்ப்யூட்டரின் வலை உலாவியில் கேட்கலாம்.
மின்வாசிப்பு சாதனங்கள் மற்றும் பிற சாதனங்கள்
Kobo இ-ரீடர்கள் போன்ற இ-இங்க் சாதனங்களில் படிக்க, ஃபைலைப் பதிவிறக்கி உங்கள் சாதனத்திற்கு மாற்றவும். ஆதரிக்கப்படும் இ-ரீடர்களுக்கு ஃபைல்களை மாற்ற, உதவி மையத்தின் விரிவான வழிமுறைகளைப் பின்பற்றவும்.