ग़बन (Hindi Sahitya): Gaban (Hindi Novel)

· Bhartiya Sahitya Inc.
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प्रेमचन्द्र का श्रेष्ठ उपन्यास गबन जिसमें उन्होंने पैसे के गबन की जो समस्या उठाई है वह कुछ बदले हुए रूप में प्रस्तुत है...जिंदगी की वह उम्र, जब इंसान को मुहब्बत की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, बचपन है। उस वक्त पौधे को तरी मिल जाये, तो जिंदगी भर के लिए उसकी जड़े मजबूत हो जाती हैं। उस वक्त खुराक न पाकर उसकी जिंदगी खुश्क हो जाती है। मेरी माँ का उसी जमाने में देहान्त हुआ और तब से मेरी रूह को खुराक नहीं मिली। वही भूख मेरी जिंदगी है। और फिर दूसरी माँ के आ जाने का भी शायद वह अपना ही अनुभव है, जिसे मुंशी जी ने उसी अमरकान्त की कहानी सुनाते हुए व्यक्त किया है:।

Ratings and reviews

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sharad Gupta
May 17, 2017
Yeh kahani hai Ramakant ki na ka amarkant ki....but good very nice
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Shikha Chaubey
December 24, 2015
A fabulous novel as always expected by a giant nd great writer Mr Premchand
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A Google user
November 18, 2016
Love this aap very much. My personal library
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About the author

प्रेमचंद

(31 जुलाई, 1880 - 8 अक्टूबर 1936)

हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव वाले प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में की तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं।

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