फ़क़ीरा: चल चला चल

· Notion Press
Էլ. գիրք
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Էջեր

Այս էլ․ գրքի մասին

कभी कई सदियाँ एक पल में सिमट जाती हैं और कभी एक पल ही सदी बन जाता है.


बस ऐसे ही कुछ पलों की तलाश में चल पड़ा है ये फ़क़ीर मन,  देखें कहाँ तक ले जाती है ये तलाश…


अगर आपका मन भी व्याकुल है, लगता है क़ि सब कुछ है मगर फिर भी ना जाने क्या तलाश हर वक़्त जारी है तो शामिल हो जाइए फ़क़ीरा की यात्रा में, इन 85 कविताओं के द्वारा जो जीवन के हर पहलू को छूती हैं. कौन जाने, इन्हें पढ़ कर आपकी तलाश भी मुकम्मल हो जाए.


चल चला चल........फ़क़ीरा चल चला चल !!!

Հեղինակի մասին

गुरुग्राम में जन्मे और पले बड़े, सुनील सप्रा अब सिंगापुर में रहते हैं.  पिलानी से इंजिनियरिंग करने और सॉफ़्टवेयर इंडस्ट्री में शीर्ष पदों  पर काम करने के बावज़ूद उनके अंतर्मन का कवि जिसे वो ""फ़क़ीरा"" कहते हैं, हमेशा जागरूक रहा.


सुनील की कवितायें हमारी रोज़मर्रा  की ज़िंदगी से प्रेरित हैं.और उनके अनुसार हर व्यक्ति के अंदर एक फ़क़ीरा बसता है. सिर्फ़ कुछ लोग उसे पहचान लेते हैं और उस फ़क़ीरा के भावों को व्यक्त करते हैं.

अगर आप इंसान हैं तो ऐसा हो ही नहीं सकता क़ि किसी का दुख आपको दर्द ना दे और आप दूजों का भला ना करना चाहें. बस यही  भाव ही वो फ़क़ीरा है, ज़रूरत है तो सिर्फ़ अपने अंदर के फ़क़ीरा को पहचानने की. 

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