बीज (Hindi Sahitya): Beej(Hindi Novel)

· Bhartiya Sahitya Inc.
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बीज का पहला संस्करण १९५२ में प्रकाशित हुआ था जिन लोगों को उस समय की बातें याद होंगी उन्हें शायद यह भी याद होगा कि इसके प्रकाशन का स्वागत एक छोटी-मोटी साहित्यिक घटना के रूप में हुआ था। इसलिए यह स्वाभाविक ही था कि एक वैचारिक शिविर ने मुक्त कंठ से इसकी प्रशंसा की तो दूसरे बैचारिक शिविर ने उतने ही मुक्त कंठ से इसकी निन्दा की। मैं दोनों का ही ऋणी हूँ क्योंकि एक ने मुझे आत्म-विश्वास और दूसरे ने आत्म-निरीक्षण दिया और उन आलोचनओं में जितना जो कुछ मेरा विवेक स्वीकार कर सका, उसके आलोक मैं मैंने जहाँ-तहाँ कुछ संशोधन भी किया है जिससे मेरा विश्वास है कि उपन्यास में और कसाव आ गया है।

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Об авторе

अमृत राय

 

जन्म- 1921, वाराणसी, उत्तर प्रदेश;

 

मृत्यु- 1996

 

उपन्यासकार, निबन्धकार, समीक्षक, अनुवादक थे। अमृत राय प्रेमचंद के छोटे बेटे हैं। पिता की तरह मूलतः कहानीकार व उपन्यासकार। श्रेष्ठ अनुवादक व जीवनीकार के रूप में भी ख्याति। व्यंग्यकार और समालोचक भी। प्रेमचंद की जीवनी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। नाट्य-लेखन में भी सक्रिय रहे। अंग्रेजी, बंगला और हिन्दी पर समान अधिकार।इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये प्रगतिशील साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

 

अमृत राय प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद के पुत्र थे। अमृतराय जी का विवाह सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बेटी सुधा चौहान से हुआ था। इनकी पत्नी सुधा ने सुभद्रा कुमारी चौहान तथा अपने पिता लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी लिखी-' मिला तेज से तेज'


सम्पादक : प्रेमचंद की बिखरी रचनाओं के संपादन के अतिरिक्त आपने 'हंस' का संपादन अपने ही अंदाज़ में किया। यह 'हंस' और 'नई कहानी' के सम्पादक रहे हैं।

 

कृतियाँ : 'साहित्य में संयुक्त मोर्चा', 'सुबह का रंग', 'लाल धरती', 'नई समीक्षा', 'नागफनी का देश', 'हाथी के दांत', 'अग्निशिखा', 'फांसी के तख्ते से', 'कस्बे का एक दिन', 'गीली मिट्टी', 'कठघरे', 'जंगले', 'सहचिंतन', 'भटियाली', 'आधुनिक भावबोध की संज्ञा', 'बतरस', 'चतुरंग', 'सारंग' और 'धुआं'।

 

'प्रेमचन्द', 'कलम का सिपाही'( जीवनी), 'बीज' (उपन्यास), 'तिरंगा कफ़न' (कहानी-संग्रह)

 

अनुवाद : 'स्पार्टाकस' का अनुवाद 'आदिविद्रोही', 'हैमलेट' का, 'समरगाथा'।

 

पुरस्कार : अमृतराय जी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।

 

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