हर पढ़ा लिखा मुसलमान जो अरबी जानता है उसने पवित्र कुरान की तिलावत जरूर की होगी और करता भी रहता होगा लेकिन क्या इसके अर्थों को जानना आवश्यक नहीं ? अधिकतर लोग अर्थ ही नहीं जानते कि पवित्र क़ुरआन का क्या संदेश होता है और जो लोग अर्थ के साथ पढ़ते हैं और जानते भी हैं लेकिन उसकी डिटेल नहीं पता होती।
इसलिए पवित्र कुरआन मौत के बारे में क्या कहती है? इसको अवश्य पढ़ें व समझे।
इसी संदर्भ में मैं आपके सामने विश्व की प्रसिद्ध कुरआन की तफसीर पेश की है कृपया इसे पढ़े और लाभ उठाएं।
यदि कोई कमी नजर आए, तब तत्काल अवगत करें ।
धन्यवाद।
शुभकामना सहित
आपका - अब्दुल वहीद, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश, भारत (इंडिया
मेरा नाम अब्दुल वहीद है, मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है। मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है। जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए-नए खोजो की जानकारी में प्रयुक्त रहा है। मैं B.Sc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सड़क दुघर्टना में सर्वगवास हो गया था ।
मेरे पिता जी की दो बातें जो, मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है
प्रथम– इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो,
दूसरा– अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो।
इसलिए घर की जिम्मेदारी, फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । मेरे लेख प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में भी छप चुके हैं। यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरुर अवगत कराये ।
पुस्तक पढ़ने के लिए
धन्यवाद,