प्रकृति ने सदियों से ही मानव को एक अनोखा उपहार दिया है, वह है सोचने समझने का। जो कि उसे अन्य जीवों से पृथक करता है। हर मनुष्य की अपनी एक अलग सोच है, रहने-सहने का अलग ढंग है। खाने-पीने और पहनने का भी अपना ही एक अलग तरीका है। यहां तक की उसकी सोच भी एक-दूसरे से अलग ही होती है। यहां पर आने वाले हर मनुष्य का सोचने का तरीका भी अलग है। कोई अपने बारे में सोचता है और कोई पूरे देश के बारे में सोचने वाला होता है। कोई मानव कल्याण के लिए अपने आपको अर्पित कर देता है तो कोई अपने परिवार तक ही सीमित रहता है।
यादें नामक यह पुस्तक भी मैंने आज तक के अपने समस्त जीवन पर आधारित अपनी रचनाओं को अर्पित कर लिखी है। इस पुस्तक में प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन किया है।
नवलपाल प्रभाकर
जन्म : 03-01-1985
आत्मज : श्री ओम प्रकाश
शिक्षा : एम. ए॰ (हिन्दी) प्रभाकर
रूचि : पठन-पाठन में विशेष रुचि, जहाँ कहीं भी. जो भी अनुकरणीय लगे उसे अपने जीवन तथा रचनाओं में उतारने को भी उतावले ।
सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन
सम्पर्क : नवल पाल
गाँव- साल्हावास
जिला- झज्जर (हरियाणा)
मो० 09671004416