वे आँखें (Hindi Sahitya): Ve Aankhen (hindi Novel)

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· Bhartiya Sahitya Inc.
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कहानी कहने के तौर-तरीके कितने ही प्रकार के हैं। तमाम लेखकों की कहानियाँ जिस तरह एक ही तरह की नहीं होतीं, उसी तरह सबके लेखन की पद्धतियाँ अलग-अलग तरह की होती हैं। चूँकि सबके लेखन के तौर-तरीके अलग-अलग तरह के होते हैं, इसीलिए साहित्य का इतिहास भी इतनी विचित्रताओं से भरा है। लेखक जिस तरह अलग-अलग कोटि के होते हैं। पाठक भी उसी तरह अलग-अलग प्रकार के होते हैं। तरह-तरह के पाठकों की तरह-तरह की रुचियों के कारण ही साहित्य में इतनी विचित्रताएं मिलती हैं। यही वजह है कि साहित्य की दुनिया कभी पुरानी नहीं पड़ती

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April 29, 2015
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विमल मित्र

 

(18 दिसंबर 1912 - 1991)


विमल मित्र ख्यात बांग्ला लेखक व उपन्यासकार थे।

विमल ने सन्‌ 1938 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बांग्ला साहित्य में एम.ए. की उपाधि ली और रेलवे में विभिन्न पदों पर नौकरी की। जून 1956 में डिप्टी चीफ कंट्रोलर के पद से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्र लेखन करने लगे। उन्होंने भारतीय साहित्य को लगभग साढ़े तीन दशकों तक लिखते हुए 60 से अधिक उपन्यास और कहानी संग्रह दिए हैं। उनकी सर्वाधिक चर्चित कृतियों में साहिब बीवी और गुलाम शामिल है, जिस पर एक लोकप्रिय फिल्म का भी निर्माण हुआ। मुजरिम हाजिर नाम उनकी एक अन्य कृति पर एक लोकप्रिय टीवी धारावाहिक का भी निर्माण हुआ।


रचनाएं

 

'साहब बीवी और गुलाम', 'खरीदी कौड़ियों के मोल' (दो-खंड), 'इकाई, दहाई, सैकड़ा', 'बेगम मेरी विश्वास' (दो खंड), 'दायरे के बाहर', 'मैं', 'राजा बादल', 'चरित्र', 'गवाह नंबर 3', 'वे दोनों', 'काजल', 'कन्यापक्ष', 'रोकड़ जो नहीं मिली,' 'चलो कलकत्ता,' 'हासिल रहा तीन', 'तपस्या', 'राग भैरवी', 'सुबह का भूला' आदि हैं।


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