व्यक्तित्व का विकास (Hindi Sahitya): Personality Development (Hindi Self-help)

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स्वामी विवेकानन्द के सन्देशों में भारत के आध्यात्मिक भण्डार का सारतत्त्व समाहित है जिसे उन्होंने आधुनिक परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक आधार पर सहज-सरल शब्दों में हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है। ये सभी विश्वमानवता के लिए प्रेरणादायी हैं. समाज के सभी वर्ग, सभी धर्म एवँ सभी जातियों के मनुष्यों के लिए समान रूप से उपयोगी है। स्वामीजी की शक्तिशाली प्रोत्साहक वाणी युवकों के मन को जगाने वाली है। आत्मविश्वास एवं जीवन की समस्याओं का सामना करने की शक्ति प्रदान करने वाली, उनके हदय में प्रेम एवं सेबाभाव उत्पत्न्न करनेयाली, हमेशा नैतिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करने वाली एवं जीवन की कठिनाइयों और अनिश्चितता के समय सही मार्गदर्शन करने वाली है। प्रस्तुत पुस्तक स्वामी के प्रसिद्ध उपदेशों एवं प्रेरणादायी उक्तियों का संग्रह है, जिसे विवेकानन्द साहित्य से लिया गया है

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À propos de l'auteur

स्वामी विवेकानन्द(जन्म: 12 जनवरी,1863 - मृत्यु: 4 जुलाई,1902)

वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।

 

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