यह एक सत्य घटना है इसमें कोई शक नहीं क्योंकि इसके खंडहर तथा आरक्योलॉजिकल सुबूत भी मिले हैं।
इसी विषय पर यह छोटी सी पुस्तक आपके सामने प्रस्तुत है कृपया इसे पढ़ें और ज्ञान में बढ़ोतरी करें यदि कोई कमी नजर आए तो तत्काल अवगत करायें और अगर आपको कोई अधिक ज्ञान है तो कृपया बताएं मैं आपके ज्ञान का सम्मान करता हूं और उसे ऐड करने का प्रयास करूंगा।
धन्यवाद
आपका- अब्दुल वहीद, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश, भारत (इंडिया)
मेरा नाम अब्दुल वहीद है मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है । मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है । जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए - नए खोजो को जानकारी में प्रयुक्त रहा है । मैं BSc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था , लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सर्वगवास हो गया था ।
मेरे पिता जी की दो बातें जो , मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है
प्रथम - इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो ,
दूसरा अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो । इसलिए घर की जिम्मेदारी , फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरूर अवगत कराये ।
धन्यवाद ।
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