सेल्फ इवोल्यूशन ऑफ द यूनिवर्स: बलराम की विज्ञान

· Balram Shanker Verma
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प्रस्तुत पुस्तक "सेल्फ इवोल्यूशन ऑफ द यूनिवर्स" में प्रकृति के उन नियमों का उल्लेख किया गया है, जिन नियमों का उपयोग मनुष्य अपने दैनिक जीवन में जाने-अनजाने लगभग रोज करता है, या रोज होते हुए देखता है। इन नियमों का उपयोग सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में प्रत्यक्ष रूप से होता है। इन नियमों का उपयोग करके मानव जीवन को सरल तथा आसान बनाया जा सकता है। इस पुस्तक में लिखे गए नियम गैलेलियो,न्यूटन,आइंस्टीन के नियम को गलत साबित करते हैं, तथा प्रकृति के कार्य करने की सही एवं सटीक व्याख्या करते हैं। यह पुस्तक यह साबित करती है, कि अभी तक स्कूल, कालेजों में पढ़ाई जा रही यान्त्रिक भौतिकी गलत है।

जैसे-

किसी पिण्ड को वृत्तीय कक्षा में गति करने के लिए बाह्य बल की आवश्यक्ता होती है। जैसे- पत्थर को धागे से बांध कर हाँथ से चारो ओर घुमाना आदि।

बाह्य बल के अभाव में कोई भी निकाय अपना वेग य दिशा य दोनो में परिवर्तन नहीं कर सकता है। जैसे-कोई गैस सिलेंडर।

किसी पिंड पर लगाया गया असन्तुलित बल पिंड के द्रव्यमान तथा पिण्ड के वेग में हुए परिवर्तन के गुणनफल के बराबर होता है। जैसे-स्थिर गेंद पर बल लगाकर उसे गतिसील अवस्था मे लाना।

ब्रम्हाण्ड का कोई भी द्रव्यमान तन्त्र अपने द्रव्यमान को स्थिर रखकर अपने बल से अपने द्रव्यमान तन्त्र का जणत्व नहीं बदल सकता है। जैसे-गैस सिलेंडर के अंदर स्थित गैस, गैस सिलेंडर का जणत्व नही बदल पाती हैं।

बाह्य बल के अभाव में किसी निकाय का प्रारंभिक कुल संवेग निकाय के अन्तिम कुल संवेग के बराबर होता है। जैसे-दो गाड़ियों के किसी निकाय में गाड़ियों के आपस मे टकराने के पहले का कुल संवेग, गाड़ियों के टकराने के बाद के कुल संवेग के बराबर होता है।

प्रकृति में ऊर्जा, डार्क मैटर, डार्क ऊर्जा जैसी कोई चीज नहीं होती है।

बलराम के गुरुत्वीय बल के सिद्धांत के अनुसार ब्रम्हाण्ड के किसी भी द्रव्यमान तन्त्र का गुरुत्वीय त्वरण, अपने सम्पूर्ण द्रव्यमान तन्त्र को अपने द्रव्यमान तन्त्र के द्रव्यमान केन्द्र में लाने का प्रयास करता है।

गुरुत्वीय त्वरण पिण्डों के द्रव्यमान पर निर्भर करता है अर्थात भिन्न- भिन्न द्रव्यमान के पिण्ड पृथ्वी (द्रव्यमान तन्त्र) से समान ऊँचाई से मुक्त अवस्था में गिराने पर पिण्डों को पृथ्वी (द्रव्यमान तन्त्र) से टकराने में भिन्न-भिन्न समय लगता है।

गुरुत्वीय त्वरण के कारण पृथ्वी से समान ऊँचाई से मुक्त अवस्था मे पिण्ड गिराने पर अधिक द्रव्यमान का पिण्ड पहले तथा कम द्रव्यमान का पिण्ड बाद में पृथ्वी से टकराता है।

समान द्रव्यमान के पिण्ड का गुरुत्वीय त्वरण पिण्ड के त्रिज्या पर इस प्रकार निर्भर करता है। 


ब्रम्हांड का कोई भी पिण्ड अपनी धुरी पर घुर्णन नहीं करता है यही कारण है, कि पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा का सदैव एक ही पृष्ठ दिखाई देता है।

चन्द्रमा प्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी का चक्कर नहीं लगाता है। पृथ्वी तथा चन्द्रमा प्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी मण्डल (पृथ्वी तथा चन्द्रमा के संगठन) के द्रव्यमान केन्द्र का चक्कर लगाते हैं। 

ब्रम्हांड का प्रत्येक पिण्ड अपने द्रव्यमान तन्त्र के द्रव्यमान केन्द्र का चक्कर लगाता है। सूर्य भी सौर्यमण्डल के द्रव्यमान केन्द्र का चक्कर लगाता है। यही कारण है, कि सूर्य के सबसे नजदीक के गृह (बुद्ध) की कक्षीय विकेन्द्रता सर्वाधिक प्रतीत होती है।

पृथ्वी भी पृथ्वी मण्डल के द्रव्यमान केन्द्र का चक्कर लगाती है। यही कारण है, कि पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा का परिक्रमण पथ दीर्घ वृत्तीय प्रतीत होता है।

सूर्य तथा अन्य सभी गृह, उल्कापिंड, इत्यादि सौर्यमण्डल के द्रव्यमान केन्द्र का चक्कर लगाते हैं। सूर्य सौर्यमण्डल के द्रव्यमान केन्द्र के सबसे नजदीक है इसलिए हमें भ्रम वस यह प्रतीत होता है, कि सौर्यमण्डल के द्रव्यमान केन्द्र का चक्कर लगाने वाले गृह सूर्य का चक्कर लगाते हैं।

प्रकाश का द्रव्यमान होता है यही कारण है,कि प्रकाश अधिक गुरुत्वीय छेत्र में मुण जाता है। 

जो मनुष्य प्रकृति के सम्पूर्ण नियमों का ज्ञान प्राप्त कर लेगा, वह मनुष्य प्रकृति के नियमों का उपयोग करके सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड को अपने वश मे कर लेगा।-

Ratings and reviews

5.0
4 reviews
Tariq Ahmad
10 April 2023
Excellent, : keep continue 💞
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Mohd Shakhan
26 April 2022
Aap ne jo bhi likha hai yah sab bahut hi sahi hai
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