शरद पवार जितने जुझारू हैं उतने ही आक्रामक भी हैं राजनीति में वे संसदीय प्रणाली से बहुत अधिक प्रभावित हैं। इसलिए ऐसा कम ही होता है कि उनका आक्रामक रूप कभी सामने आए। कैंसर के खिलाफ उनकी लड़ाई उनके व्यत्तिफ़त्व एवं सकारात्मकता का एक बेहतरीन उदाहरण है। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में जब शरद पवार पुणे में रैली कर रहे थे तो रैली के दौरान उन्होंने यह घोषणा की थी कि रैली खत्म होने के बाद वे सीधे अस्पताल जाएंगे जहां उनका इमरजेंसी ऑपरेशन है। वे कैंसर से लड़े और राजनीति में पूर्ण रूप से सक्रिय रहे। यह उनका आत्मबल और जुझारूपन ही है। उनके व्यत्तिफ़त्व की एक खास बात यह है कि वह शत्तिफ़शाली नेताओं की कुर्सी पलटने वाले क्षेत्रीय चाणक्य हैं। शरद पवार को हम पूर्ण रूप से एक कौशल एवं चतुर राजनीतिज्ञ कह सकते हैं जो उनकी व्यत्तिफ़त्व की पहचान है।लेखक परिचय :हिमांशु शर्मा का जन्म राजस्थान के अलवर जिले में पिता महेंद्र प्रताप शर्मा और मां शशि बाला शर्मा के घर हुआ। उन्होंने अपनी स्कूलिंग अलवर से पूरी की और उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से पूरी की। इसके बाद उन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में मुंबई की ओर रुख किया। जहां वे थिएटर, फिल्म, टीवी, विज्ञापनों में सहायक निर्देशक के रूप में जुडे रहे।लेखन के क्षेत्र से वे एक राजस्थानी फिल्म को लिखकर जुडे और इसके बाद वीर तानाजी मालुसरे की जीवनी से संबंधित उपन्यास लिखकर वे पुस्तक प्रकाशन से जुडे और कई पुस्तकें लिखी। इसके अलावा वे स्क्रीन राइटर एसोशिएशन के सदस्य भी हैं और कई लघु फिल्म, टी.वी. विज्ञापन भी वे लिख चुके हैं।