Ath Shri Baglasaptshati Kalpadruma Adhyay: Ashta-Laxmi Siddhi-Yog

· Walnut Publication
Ebook
270
Pages

About this ebook

आज साधक गण तुरीयावस्था (चतुर्थ) से तुरीयातीत (पञ्चम) अवस्था के बीच अटकने, भटकने को विवश हैं, कारण है यथार्थ पथप्रदर्शक, गुरु वा अनुभव-आधारित लेखन-प्रकाशन का सहज उपलब्ध न होना । अत: शापोद्धार क्रम में, बगला के 'श्री' मंत्र से संपुटित (अष्ट-लक्ष्मी सिद्धि), 'बीज-त्रयात्मक सप्तशती' सहित, नवाङ्ग (अर्गला, कीलक, कवच, रात्रिसूक्त - बगलासप्तशती पाठ - रहस्यत्रय, काली सिद्ध कुञ्जिका, नवार्ण - बगला मंत्रयोग) से सुसज्जित - यह लेखन मेरे २५ वर्षों के आन्वेषिक एवं अनुभवजन्य प्रयोगों का सारगर्भित संकलन है । "ज्ञान खण्ड" के 'इच्छति-जानति-यतते' में मैंने जहां तन्त्राचार के सैद्धान्तिक विचारान्दोलन का वस्तुपरक विश्लेषण किया, वहीं अन्तर्याग में मूलांश, क्रव्यांश तथा उत्प्रेरक की क्षतिपूर्ति क्रमशः "बीजात्मक सप्तशती" (मूलाधार) को मूल पाठ में, "गर्भ चण्डी" (अनाहत) एवं "लघु सप्तशती" (आज्ञा चक्र) का संयोजन "अधिकस्य अधिकं फलम्" खण्ड में करके "ज्ञान-योग", "कुण्डलिनी-योग", तथा "मंत्र-योग" तीनों का संधान किया है । पुस्तक सर्वसुलभ, सरल (पद-विच्छेद), साप्ताहिक (दैनन्दिन २ अध्याय), आगमोक्त प्रयोगों का सत्यार्थ प्रकाशन है, जो सकाम साधकों के लिए 'चण्डी - कल्पतरु' तथा संग्रहणीय है ।

About the author

ग्राम बेलाराही, झंझारपुर, बिहार में १९६५ में जन्मे डॉ. सुमन कुमार दास ने १९८६ में JNU से स्नाकोत्तर कर, मॉस्को से १९९० में भाषा विज्ञान में Ph.D. किया । आपने १९९७ में कौलाचार्य स्वामी डॉ. कुन्दानन्द नाथ से कौल संप्रदाय के, काली कुल में, भगवती दक्षिण काली की दीक्षा प्राप्त कर सुमनानन्द नाथ तथा २००५ में "षडाम्नाय" की उपाधि प्राप्त कर स्वामी सुमनानन्द नाथ बने । १९८६ से २०१० तक सोवियत संघ से लेकर दुबई, तुर्की, मिश्र, चीन, अफगानिस्तान आदि दुनिया के ११ देशों में होटल, शिक्षा, इंटरनेट, मेडिसिन आदि विभिन्न व्यवसायों में रहते हुये साधना क्रम में दृढ़ता से प्रयोगरत् रहे । १२ वर्षों तक दुशान्बे स्थित "एस्कॉन" प्रबंधन में अपना मार्गदर्शन, सहयोग दिया । 

२०११ में भारत वापस लौटकर खजुराहो को अपनी - तपोभूमि बनाया । यहीं "ललिता दिव्याश्रम" (महाविद्या सिद्धपीठ) की स्थापना की जहां से आध्यात्मिक सशक्तिकरण हेतु वैदिक-वैज्ञानिक नवाचार - "४१ दिवसीय "मंत्रयोग" तथा सनातन संस्कृति हेतु वैदिक कृषि में नवोन्वेषी पद्धति - "गौ-कृषि वाणिज्यिम्" की शुरुआत की । आप लेखन में "जे एन यू" काल से ही प्रवृत्त रहे । हिंदुस्तान टाइम्स आदि अख़बारों में लिखते रहे । आपने साधकों के लिए अनुभव आधारित - "हर हर महादेव (नमक-चमक)", "दुर्गोपासनाकल्पद्रुमाध्याय: (श्री सप्तशती तन्त्रम्)", "ललितोपासनाकल्पद्रुमाध्यायः", "बगलोपासनाकल्पद्रुमाध्यायः", "श्री कालिकोपासनाकल्पद्रुमाध्याय: (कौल कल्पतरु)" आदि पुस्तकों का सफल प्रकाशन करने के पश्चात्, अब "श्री बगलासप्तशतीकल्पद्रुमाध्याय: (अष्ट-लक्ष्मी सिद्धि-योग) आपके हाथ में है ।

Rate this ebook

Tell us what you think.

Reading information

Smartphones and tablets
Install the Google Play Books app for Android and iPad/iPhone. It syncs automatically with your account and allows you to read online or offline wherever you are.
Laptops and computers
You can listen to audiobooks purchased on Google Play using your computer's web browser.
eReaders and other devices
To read on e-ink devices like Kobo eReaders, you'll need to download a file and transfer it to your device. Follow the detailed Help Center instructions to transfer the files to supported eReaders.