ABHOGI

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
৪.০
৬টি রিভিউ
ই-বুক
250
পৃষ্ঠা

এই ই-বুকের বিষয়ে

What is life? It is a game of chance and choice. We often hear this saying. Have you given a thought to it? Have you concluded anything from your thoughts? Ranjit desai has worked on this line in his novel abhogi. This is a story of a dedicated person
घराणं आणि आविष्कार जन्मतो गायकाच्या गळ्यातून! महत्त्वाचा असतो, तो सूर! आवाज! आणि त्या कलावंतांची फेक! एकाच घराण्याच्या दहा गायकांची गाणी ऐकली, तर नव्या माणसाला ते घराणं कळेल का? काहीतरी गोंधळ होतो. काही समजत नाही. सुरानं बद्ध झालेली. तीन सप्तकांच्या पलीकडे जाता येत नाही. वाटतं! त्या पलीकडे जावं. नवे सूर, नवे अंदाज गाठावेत. नवे राग जन्माला यावेत. पाठीमागच्या लोकांनी घोटण्यासाठी नव्हे. त्यांनी तसंच काहीतरी निर्माण करावं, म्हणून! ते नवं शोधायला नवे पंख हवेत. सुरवंट आपला कोश बांधतं. आणि नंतर त्यातून फुलपाखरू जन्मतं. या फुलपाखराचा जन्म कलावंताला लाभत नसला, तर त्या कलावंताच्या जीवनाला अर्थ काय? सगळं सुख भोगायला असूनही ‘अभोगी’ राहिलेल्या कलावंताची रणजित देसार्इंनी रेखाटलेली भावपूर्ण कथा.

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